बस्तर के स्वादिष्ट काजू ने कोरोना संकट में बढ़ाई वनवासि‍यों की आमदनी
बस्तर के स्वादिष्ट काजू ने कोरोना संकट में बढ़ाई वनवासि‍यों की आमदनी  
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बस्तर के स्वादिष्ट काजू ने कोरोना संकट में बढ़ाई वनवासि‍यों की आमदनी

Raftaar Desk - P2

रायपुर, 24 जुलाई (हि.स.)। बस्तर के स्वादिष्ट काजू ने कोरोना संकट काल में अंचल में रहने वाले वनवासी परिवारों की आमदनी बढ़ा दी है। सरकार द्वारा इस वर्ष काजू का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 100 रुपये प्रति किलो करने से जहां कोरोना संकट काल में उन्हें रोजगार मिला, वहीं इस वर्ष काजू का संग्रहण बढ़कर 5500 क्विंटल हो गया है। इस वर्ष लगभग 6 हजार वनवासी परिवारों द्वारा काजू का संग्रहण का कार्य किया, जिससे हर परिवार को औसतन 10 हजार रुपये की आय हुई। वन धन विकास केन्द्र बकावण्ड में लगभग 300 महिलाओं द्वारा काजू प्रसंस्करण का काम किया जा रहा है। प्रसंस्करण कार्य से क्षेत्र की महिलाओं को 8 माह तक सतत रूप से रोजगार उपलब्ध होगा। इससे प्रति परिवार लगभग 60 हजार रुपये आय संभावित है। कोविड महामारी के दौरान 6300 से अधिक परिवारों को रोजगार काजू वनोपज से ही प्राप्त हो गया। इस वर्ष संग्रहित किए गए 5500 क्विंटल काजू से लगभग 1200 क्विंटल काजू तैयार किया जाएगा। महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए काजू के व्यापार से इस वर्ष 30-50 लाख रुपये लाभ संभावित हैं। प्राप्त लाभ को तेंदूपत्ता की भांति प्रोत्साहन राशि काजू के संग्रहण एवं प्रसंस्करण से संलग्न परिवारों को वितरित की जाएगी। इस प्रकार अब 3 स्तर पर वनवासियों को लाभ प्राप्त होगा। पहला काजू बीज का उचित दाम, दूसरा प्रसंस्करण में 300 परिवारों को रोजगार तथा तीसरा व्यापार से प्राप्त लाभ का 100 प्रतिशत राशि का वितरण। महिलाएं रोजगार मिलने से खुश : वन धन विकास केन्द्र बकावण्ड स्व सहायता समूह की प्रभारी अध्यक्ष गुनमनी ने बताया कि, प्रसंस्करण कार्य से उन्हें माह में 3 हजार से साढे़ तीन हजार तक मिल रहे हैं। संग्रहण केन्द्र स्तर समूह की अध्यक्ष हेमबती कहती है कि हमारी समिति को सिर्फ काजू के संग्रहण से मात्र 15 दिनों में 20 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई है। करीतगांव संग्रहण केन्द्र स्तर की प्रेरक जयमनी बघेल की कहना है कि काजू का समर्थन मूल्य 100 रुपये प्रति किलो करने से महिलाओं को आर्थिक लाभ हुआ। राजनगर समिति बकावण्ड पद्मनी का कहना है कि काजू प्रसंस्करण से प्राप्त राशि से उन्हें परिवार चलाने में मदद मिली है। इसी समिति की बेलाबाली बताती हैं कि उनके परिवार के जीवन में सुधार आया है। वे अपने बच्चों को अच्छा पढ़ा-लिखा रही है। ग्राम स्तर संग्रहण केन्द्र की मचनदई, पद्मा और नविना बताती हैं कि प्रसंस्करण कार्य से उन्हें रोजगार मिला है। हिन्दुस्थान समाचार/गायत्री प्रसाद-hindusthansamachar.in