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कृषि आय बढ़ाने के लिए लागत को घटाना होगा : पी रुपाला

Raftaar Desk - P2

कृषि आय बढ़ाने के लिए लागत को घटाना होगा : पी रुपाला सॉइल हेल्थ कार्ड को लेकर कार्यशाला आयोजित उमियाम (मेघालय), 19 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं कृषक विकास राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा है कि कृषकों की आमदनी बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि फसल को उगाने में लगने वाले खर्च को कम किया जाए। यह बातें उन्होंने बुधवार को मेघालय के उमियाम में सॉइल हेल्थ कार्ड को लेकर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। इस कार्यशाला का आयोजन "सॉइल हेल्थ कार्ड डे एंड मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चैन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन" विषय को लेकर आयोजित की गई थी। इसका आयोजन आईसीएआर-एटीएआरआई के संयुक्त तत्वावधान में उमियाम के डॉ एमएस स्वामीनाथन हॉल में किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ अलका भार्गव इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में मौजूद थीं। आईसीएआर-एटीएआरआई उमियाम के निदेशक डॉ विद्युत सी डेका ने इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री रुपाला ने कहा कि सॉइल हेल्थ कार्ड कृषकों को मिलना सुनिश्चित करवाना उनका लक्ष्य है ताकि, मिट्टी की उर्वरा शक्ति के अनुकूल आवश्यकतानुसार उर्वरक का प्रयोग उसमें किया जा सके। उन्होंने कहा कि समय पर सिंचाई एवं उसके रखरखाव के साथ ही समुचित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग किया जाना फसल के लिए फायदेमंद साबित होता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने का जो लक्ष्य निर्धारित कर चुके हैं उसे पूरा करने के लिए हमें कृषि पर आने वाली लागत में कमी लानी होगी। उन्होंने कहा कि जैविक तरीके से फल, सब्जी, मसाले जैसे चीजों के उत्पादन पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। जिससे कि विदेश तक निर्यात किया जा सके और अच्छा मुनाफा किसानों को प्राप्त हो सके। समारोह को संबोधित करते हुए डॉ अलका भार्गव ने कहा कि सॉइल हेल्थ कार्ड का उपयोग जैविक पद्धति से होने वाली खेती को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि झूम खेती करने वाले क्षेत्र के किसानों को साइल हेल्थ कार्ड से काफी सहायता मिलेगी। उन्हें पहाड़ों पर अनारस एवं अन्य सभी प्रकार की खेती के लिए यह कार्ड सहायक सिद्ध होगा। किसानों को इससे लाभ उठाने में पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम, मणिपुर और मेघालय को कृषि विकास एवं अन्य तरह की खेती बागवानी आदि को लेकर आपस में अनुभवों को इस सेमिनार के दौरान साझा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन उमियाम में स्थित पूर्वोत्तर क्षेत्र के आईसीएआर आरसी के निदेशक डॉ बीके कंडापल ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/ श्रीप्रकाश/ अरविंद-hindusthansamachar.in