आतंकवादियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना कहां का इंसाफ: मंगोत्रा
आतंकवादियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना कहां का इंसाफ: मंगोत्रा 
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आतंकवादियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना कहां का इंसाफ: मंगोत्रा

Raftaar Desk - P2

उधमपुर, 24 जून (हि.स.)। कांग्रेस के सीनियर नेता सुमित मंगोत्रा द्वारा एक प्रैस वार्ता की गई, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रशासन व केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जे.के यू.टी के एलजी द्वारा मारे गए आंतकवादिओं के बच्चों को स्कॉलरशिप देने का फैसला केंद्र सरकार के सहमति के बिना नहीं हो सकता, क्योंकि जे.के यूटी प्रशासन पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन आता है। मंगोत्रा ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का यह कहना कि आंतकवाद व उसके सहयोगियों को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लगता है कि यह सिर्फ शब्दों तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि आए दिन आतंकियों द्वारा निहत्थे लोगों की जान लेना और आंतकवादी हमलों में हमारे कई सुरक्षाबलों ने अपनी शहादत दी है। उन आतंकवादियों के मारे जाने पर उनके बच्चों को स्कॉलरशिप देकर सरकार ने जम्मू कश्मीर की आम जनता के दिल में ठेस पहुंचाने का काम किया है और सुरक्षाबलों के मनोबल को ठेस पहुंचाई है। उनका कहना था कि जम्मू कश्मीर के पढ़े-लिखे नौजवान रोजगार के लिए दरबदर हो रहे हैं, बात करें डेलीवेजर की या कैजुअल लेबर की। जो अलग-अलग विभागों में 20 से 25 साल से कम वेतन पर काम कर रहे हैं। उनकी पक्का करने की मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया। अगर उनको भगवान ना करे कुछ हो जाता है तो उनके बच्चों का क्या भविष्य होगा। उनके बच्चों के भविष्य को लेकर सरकार ने कोई पॉलिसी नहीं बनाई लेकिन आंतकवादियों के प्रति जरूर सहानुभूति दिखाकर भाजपा ने अपना असली चेहरा सामने लाया है। सुमित मंगोत्रा द्वारा बताया गया कि कांग्रेस की सरकार के समय जो पॉलिसी बनाई गई थी, अगर कोई विडो पेंशन योजना लाई गई थी, जिससे कि अगर कोई विधवा हो जाता जाती थी तो उसको विडो पेंशन लगाई जाती थी लेकिन सरकार द्वारा पिछले 6 महीनों में इसमें तब्दीली लाई गई है और नया कानून बनाया गया है कि 40 साल से कम उम्र में अगर कोई बदकिस्मती से विधवा हो जाती है, उसको विडो पेंशन का हक नहीं मिलेगा। हम सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि किसी की 20 साल की उम्र में शादी होती है और किसी कारणवश वह अगर विधवा हो जाए तो उसको विडो पेंशन का हक नहीं मिलेगा यह कहां का इंसाफ है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस फैसले पर दोबारा से विचार किया जाए अन्यथा सरकार को लोगों खासकर युवाओं के रोष का सामना करना पडेगा। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान-hindusthansamachar.in