अफसरों और मैदानी अमले में नहीं तालमेल, बिगड़ रही हैं व्यवस्थाएं
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अफसरों और मैदानी अमले में नहीं तालमेल, बिगड़ रही हैं व्यवस्थाएं

Raftaar Desk - P2

अफसरों और मैदानी अमले में नहीं तालमेल, बिगड़ रही हैं व्यवस्थाएं गुना, 29 मार्च (हि.स.)। कोराना वायरस के संक्रमण से बचाने जारी लॉक डाउन के पांच दिन बीत गए। जनजीवन ठप है और व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। कलेक्टर एस विश्वनाथन और एसपी तरुण नायक के प्रयासों के बाद भी उनके अधिनस्थ अफसर और मैदानी अमले के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया है। इस वजह से व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं। हर दिन कॉल सेंटर पर सौ से अधिक लोगों की फोन आते हैं और वे भोजन की डिमांड कर रहे हैं। लेकिन 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों तक भोजन नहीं मिल पाया। ये हकीकत वरिष्ठ अधिकारियों ने मानीटरिंग की तो सामने आई। कई जगह भ्रम की स्थिति भी निर्मित हो रही है। सबसे ज्यादा परेशान दिहाड़ी पर काम करने वाला गरीब तबका है। जो आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति ना हो पाने से सडक़ पर निकलने मजबूर हैं, जिन्हें पुलिस की लाठियों का सामना करना पड़ रहा है। हद तो यह है कि लाठी मारते के वक्त भी संबंधित को मास्क उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। मजदूर वर्ग और गरीबों के साथ-साथ शहरवासियों के बीच आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए फिलहाल कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं बन पाई है। प्रशासन ने किराना, डेयरी और मेडिकल स्टोर संचालकों के मोबाइल नंबर जारी कर उन्हें सामान आपूर्ति की जवाबदेही सौंपी है, लेकिन प्रशासन का यह आदेश व्यवहारिक कम तुगलकी ज्यादा है। दरअसल, अनेक व्यापारियों के पास इतने कर्मचारी ही नहीं हैं कि वे लोगों की डिमांड पर घरों तक सामान पहुंचा सकें। ऐसे में आवश्यक सामान की पूर्ति के लिए लोग खुद ही सडक़ों पर आने मजबूर हैं। ऐसे की जा सकती है व्यवस्था प्रशासन ने जरूरी सामग्री की आपूर्ति के लिए वॉलिंटियर की एक सूची जारी की थी। जिसे विवाद के बाद निरस्त कर सामान आपूर्ति की जवाबदेही भी दुकानदार को सौंप दी, जो अभी तक असफल है। लोगों ने बताया, प्रशासन को जरूरी सामान की पूर्ति के लिए वार्ड वार समितियां बनाना चाहिए। इन समितियों में डाक विभाग का पोस्टमैन, थाने की बीट का आरक्षक, मतदाता सूची के काम में लगे बीएलओ को शामिल किया जा सकता है। ये टीम सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन का भी मोहल्ले मोहल्ले आसानी से घूम कर पालन करा सकती है। राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक वर्षों से घर घर से भोजन के पैकेट इकट्ठा करते रहे हैं। इन संस्थाओं का नेटवर्क शहर के मोहल्ले तथा गांव तक फैला हुआ है। इनसे मदद ली जा सकती है। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in