प्रसंगवश : हे विधान! हम क्यों नहीं मानते…
प्रसंगवश : हे विधान! हम क्यों नहीं मानते… 
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प्रसंगवश : हे विधान! हम क्यों नहीं मानते…

Raftaar Desk - P2

वसुधैव कुटुंबकम् और विश्व कल्याण का भाव, दोनों ही भारत की गौरवशाली परंपरा की धुरी हैं। इसी धुरी के कारण भारत विश्वगुरु बनने की ओर निरंतत अग्रसर है। भारत का लौकिक स्वरूप भले बदला हो, लेकिन वसुधैव कुटुंबकम् व विश्व क्लिक »-www.navpradesh.com