उत्तरकाशी: 8 बरस  में गुलजार हुआ बमोर का पौधा
उत्तरकाशी: 8 बरस में गुलजार हुआ बमोर का पौधा 
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उत्तरकाशी: 8 बरस में गुलजार हुआ बमोर का पौधा

Raftaar Desk - P2

उत्तरकाशी, 18 जून (हि.स.)। यहां समुद्र तल से 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगने वाले दुर्लभ देवदार व बाँझ के पेड़ों का भी सफल रोपण 1100 मीटर पर कर दिखाया गया है। उत्तरकाशी में गंगा विचार मंच के प्रदेश संयोजक व पर्यावरण की समझ रखने वाले लोकेन्द्र सिंह बिष्ट ने उत्तरकाशी शहर के बीचों बीच मुख्य डाकघर के समीप केदार मार्ग पर अपनी एक छोटीसी वाटिका में दुर्लभ बमोर के पौधे का सफल रोपण किया। आठ बरस बाद अब इस पेड़ पर बमोर के फूल ही नहीं अपितु फल भी आ चुके हैं। पहाड़ों मैं गढ़वाली गीत की " तै दिवारी डांडा बमोर खै औला.....। इन लाइनों के साथ आज बात करते हैं बमोर (भमोर) के फूलों व फलों की। जी हां अब आपको भमोर खाने तै दिवारी का डांडा ( जंगल ) नहीं जाना पड़ेगा।। वजह भी साफ है। बिष्ट बताते हैं कि यहां पौधा समुद्रतल से 1100 मीटर की ऊंचाई पर इस छोटी सी बगिया में उन्होंने उत्तरकाशी शहर के बीचों बीच देवदार व बाँझ के 8 से 10 वर्ष के पेड़ों का जंगल उगाया है। इस जंगल मे आंवला, तेजपत्ता, अमरूद व दूसरे फल फूलों का एक खूबसूरत जंगल लहलहा रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बुरांश व क़ाफ़ल के बाद आजकल बमोर के पेड़ फूलों से लदे हैं। उत्तरकाशी के अधिकाँश जंगल आजकल बमोर के पेड़ बमोर के फूलों से लदे हैं, ये अलग बात है कि बहुतायत में बुराँस के अपेक्षाकृत बमोर के जंगल महज 2 से 3 फीसदी ही होंगे। हिमालय दुनियाभर मैं अपनी नैसर्गिक जैव विविधता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। सम्पूर्ण हिमालयी राज्यों में असंख्य औषधीय जंगल पेड़ पौधे पाये जाते है। हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाने वाले 8000 पुष्पीय पौधों की प्रजातियों में से लगभग 4000 प्रजातियां केवल गढ़वाल हिमालय क्षेत्रों में उगती हैं जिनमें एक पेड़ है बमोर। इसका वैज्ञानिक/वानस्पतिक नाम Cornus Capitata है। काफल और बुराँस की अपेक्षाकृत बमोर का फल कम ही उपलब्ध हो पाता है। ग्रामीण लोग आज भी जंगलों से इसके फल को एकत्रित कर खाने के लिए ले आते हैं। इसे हिमालयन स्ट्राबेरी भी नाम दिया गया है। बमोर संपूर्ण हिमालय क्षेत्रों भारत, चीन, नेपाल, आस्ट्रेलिया आदि में पाया जाता है। सामान्यतः बमोर के जंगल 2000 से 3000 मी0 ऊंचाई तक उगते हैं। बिष्ट लंबे समय से बमोर के पेड़ में फूल व फल आने की इंतजार कर रहे थे, लेकिन कई बर्षों बाद भमोर के पेड़ में फूल व फल न आने से उन्हें लगा की शायद अकेला पेड़ होने की वजह से पराग कण के अभाव में ये दिक्कत आ रही होगी। हालांकि इस वर्ष इस पेड़ में जमकर फूल भी आ चुके हैं और फल भी लग चुके हैं। उत्तराखंड व उत्तरकाशी के जंगलों में बमोर के पेड़ आजकल फूलों से लकदक हैं औऱ इन्हीं खूबसूरत फूलों के मध्य बमोर का फल निकल आया है । बमोर सितम्बर से नवम्बर के मध्य पकता है तथा पकने के बाद बमोर लाल हो जाता है। बमोर के फल पौष्टिक तथा औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं व अति स्वादिष्ट भी। बमोर के बारे में 'अन्तरराष्ट्रीय जनरल ऑफ फार्मटेक रिसर्च' में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि बमोर में मधुनाशी गुण भी पाये जाते है। हिन्दुस्थान समाचार// चिरंजीव सेमवाल-hindusthansamachar.in