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बस्तर के आदिवासियों में धर्मांतरण की सबसे बड़ी समस्या- कमलचंद भंजदेव

Raftaar Desk - P2

धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर कड़ाई से पालन करने की मांग जगदलपुर, 01 मार्च(हि.स.)। बस्तर संभाग में तेजी से हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने जिन्होने भी धर्मांतरण किया है, उन लोगों को आरक्षण के लाभ से हटाने की मांग की है। उन्होंने बस्तर में धर्मांतरण की समस्या को सबसे बड़ी समस्या बताते हुए बनाए गए कानून पर जल्द से जल्द अमल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह एक गंभीर समस्या बन जाएगी। ऐसे में कमलचंद भंजदेव ने आदिवासी समुदाय के लोगो से वापस अपने धर्म में आने की अपील करने के साथ ही शासन-प्रशासन को इस धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर कड़ाई से पालन करने की मांग की है। कमलचंद भंजदेव का कहना है कि अगर इस धर्मांतरण को रोका नहीं गया तो आने वाले समय में बस्तर के आदिवासी जनजातियों के लिए खतरा बन सकता है। आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति भी खतरे में पड़ सकती है। बस्तर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में लगातार धर्मांतरण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर के महाराजा रहे प्रवीर चंद्र भंजदेव के शासनकाल में बस्तर में कभी धर्मांतरण जैसे मामले सामने नहीं आए, लेकिन बीते करीब 70 सालों से बस्तर में लगातार धर्मांतरण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। जिसे देखते हुए कानून का पालन सही तरीके से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जिन्होंने धर्मांतरण किया है उन्हें आरक्षण के लाभ से हटाना चाहिए,जिससे धर्मांतरण को रोका जा सके और आदिवासी समाज को बचाया जा सके। कमलचंद भंजदेव ने यह भी कहा कि बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की परंपरा और संस्कृति देश दुनिया से अलग है, लेकिन अब देखा जा रहा है कि बस्तर में रहने वाले गोंड, माडिय़ा, मुरिया और अनेक जाति के आदिवासियों का एक बड़ा समुदाय धर्मांतरण की चपेट में आ रहा है। धीरे-धीरे आदिवासी संस्कृति और परंपरा में खतरे में पड़ गई है। हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे