नयी दिल्ली। मिल्खा सिंह के लिये ट्रैक एक खुली किताब की तरह थे जिससे उनकी जिंदगी को ‘ मकसद और मायने ‘ मिले और संघर्षो के आगे घुटने टेकने की बजाय उन्होंने इसकी नींव पर उपलब्धियों की ऐसी अमर गाथा लिखी जिसने उन्हें भारतीय खेलों के इतिहास का युगपुरूष बना क्लिक »-www.prabhasakshi.com