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Pilot Vs Gehlot: कांग्रेस को भारी पड़ सकती है पायलट की नाराजगी, जानें कितनी सफल रही जनसंघर्ष यात्रा?

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। कांग्रेस नेता व राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पिछले महीने ही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ एक दिन के अनशन पर बैठे थे। अनशन के एक महीने के बाद ही उन्होंने 'जन-संघर्ष पद यात्रा' निकाल दी। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मतभेद की खबरें राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही उठ रही हैं, लेकिन एक सवाल जो हर किसी के मन में उठ रहा है कि आखिर इस यात्रा से सचिन पायलट हासिल क्या करना चाहते हैं?

सीधे तौर पर गहलोत पर नहीं बोल रहे पायलट

गौरतलब है कि अजमेर से जयपुर तक हुई सौ किलोमीटर से अधिक दूरी की इस यात्रा के दौरान सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कोई बयान नहीं दिया। लेकिन, जयपुर में हुई सभा में अप्रत्यक्ष तौर पर पायलट और उनके समर्थक मंत्री और विधायकों ने सीधा सीएम गहलोत पर निशाना साधा था।

बड़े आंदेलन की धमकी

जनसंघर्ष यात्रा के दौरान सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई न करने के आरोप लगाए गए। इस दौरान सचिन पायलट ने आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन करने की भी धमकी दी है। जन-संघर्ष यात्रा की समापन रैली में गहलोत सरकार में मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा समेत 14 विधायक मौजूद थे। साथ ही 14 पूर्व विधायक भी सभा में शामिल हुए थे।

अशोक गहलोत पर साधा निशाना

सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अल्टिमेटम देते हुए कहा, अभी उन्होंने गांधीवादी तरीके से अनशन और जन संघर्ष यात्रा की है। उन्होंने आगे कहा कि अगर अब उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो पूरे प्रदेश में वे आंदोलन करेंगे। बिना नाम लिए उन्होंने अशोक गहलोत पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा- “हम तो बिना पद के गाली खा-खा कर, ख़ून के घूंट पी-पी कर जनता के बीच संगठन का काम कर रहे हैं। आप मलाई खा-खा कर, गाली दे-दे कर हमें बदनाम करने का काम कर रहे हैं. अब यह होने वाला नहीं है"

सचिन पायलट की क्या हैं मांगें?

सचिन पायलट ने पेपर लीक और भ्रष्टाचार मामले में अशोक गहलोत सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं। इनमें से प्रमुख मांग राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को भंग करके पुनर्गठन करना और मापदंड बनाकर पारदर्शिता से लोगों का चयन शामिल है। इसके अलावा सचिन पायलट ने पेपर लीक से जिन बच्चों का आर्थिक नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवज़ा देने की भी मांग रखी है। साथ ही वसुंधरा राजे सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

कितनी सफल रही पायलट की यात्रा

अजमेर से जयपुर तक हुई सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा के दौरान कम से कम तीन हजार लोग उनके साथ सड़क पर चल रहे थे। धौलपुर, दौसा, करौली, झालावाड़, भीलवाड़ा, कोटा, सवाई माधोपुर, , बीकानेर, नागौर समेत पूरे प्रदेश से लोग इस यात्रा में शामिल हुए। पायलट की नाराजी आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बता दें कि अगर सचिन पायलट कांग्रेस पाटी से बगावत करते हैं तो कांग्रेस को मौजूद हालात में कुछ मोर्चों पर संकट का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मंत्री और विधायक सचिन गुट में शामिल होने के लिए सरकार से मुख मोड़ सकते हैं जिससे हालात और खराब हो जाएंगे। वहीं आगामी चुनाव में वोट का भी बिखराव उसे जीत के दूर रख सकता है।

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