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चीन अपनी हरकत से नहीं आ रहा बाज, ब्रिटिश सरकार ने चिप के जरिए जासूसी करने का लगाया आरोप

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। चीन अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा है। वे अपने पड़ोसी देश के साथ भी समय-समय पर उलझते रहता है । वे कभी सीमा विवाद तो कभी कर्ज के जाल में अपने से कमजोर देश को फंसाने की कोशिश करता है ।

चीन पर साजिश के तहत पूरे दुनिया में कोरोना जैसी खतरनाक वायरस को फैलाना का आरोप भी लगता रहा है। अब एक नया मामला सामने आया है । ब्रिटिश सरकार ने चीन पर चिप के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाया है। ब्रिटिश सरकार ने अपने मंत्रियों और नागरिकों को सतर्क किया है । LED बल्ब भी चीन का जासूसी उपकरण हो सकता है। इसलिए यह मामला सिर्फ निजता का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज ने चीन की कंपनियों के साथ किया समझौता

बताया जाता है कि ब्रिटेन की कई यूनिवर्सिटीज ने चीन की कंपनियों के साथ टेक्नोलॉजी से संबंधित समझौते किए हैं। ब्रिटिश सरकार को अब लगने लगा है कि ये चीनी कंपनियां ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज से रिसर्च से जुड़ी जानकारियां चोरी कर रही हैं। इनमें ज्यादातर वे कंपनियां भी हैं, जिन पर अफ्रीकी देशों में जासूसी के आरोप लग चुके हैं। कुछ कंपनियां जो बैन हो चुकी थीं, नए नामों से चल रही हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस के ग्लोबल बाजार में 54% हिस्सेदारी

टेक्नोलॉजी डिवाइस को जासूसी के लिए इस्तेमाल करने के खुलासे ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि चीन की सिर्फ 3 कंपनियां क्वेक्टेल,फाइबोकॉम और चाइना मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस के ग्लोबल बाजार में 54% हिस्सेदारी हासिल कर चुकी हैं।

दुनिया में 10 बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां इन्हीं तीन कंपनियों के पार्ट्स इस्तेमाल करती हैं। कनेक्टिविटी से जुड़े बिजनेस में इन तीन कंपनियों ने दुनिया के बाजार में 75% हिस्सेदारी हासिल कर ली है। अहम बात यह है कि तीनों ही कंपनियां चीनी सरकार के नियंत्रण में हैं। टेस्ला जैसी बड़ी कार कंपनियां कनेक्टिविटी के लिए इन्हीं तीन कंपनियों का नेटवर्क इस्तेमाल करती हैं।

चीनी सामान में लगे जासूसी चिप 5जी नेटवर्क से ऑपरेट का आरोप

ब्रिटिश सरकार के मुताबिक, चीनी सामान में लगे जासूसी चिप 5जी नेटवर्क से ऑपरेट हो रहे हैं। ये चीन में अलग-अलग सर्वर से जुड़े हैं। इनमें ब्रिटेन के प्रमुख लोगों, संस्थानों और सैन्य गतिविधियों का डेटा पहुंच रहा है। चीन की ज्यादातर बड़ी कंपनियां सरकारी हैं। खासकर टेलीकॉम के प्रोडक्ट सरकारी कंपनियां ही बना रही हैं। ये प्रोडक्ट ब्रिटेन ही नहीं, दुनिया के हर देश में बिकते हैं।