युद्ध के बीच में कभी कमांडर नहीं बदला जाता, नीतीश कुमार ही होंगे सूबे के मुखिया: सुशील मोदी
युद्ध के बीच में कभी कमांडर नहीं बदला जाता, नीतीश कुमार ही होंगे सूबे के मुखिया: सुशील मोदी 
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युद्ध के बीच में कभी कमांडर नहीं बदला जाता, नीतीश कुमार ही होंगे सूबे के मुखिया: सुशील मोदी

Raftaar Desk - P2

- एक साक्षात्कार में सुशील मोदी ने कहा, भाजपा-जदयू का गठबंधन नेचुरल राजीव मिश्रा पटना, 24 जून (हि.स.)। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को एक टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा कि युद्ध के दौरान कभी कमांडर नहीं बदला जाता है। वो कमांडर जिसके चेहरे पर कोई दाग नहीं, भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं, जिसने कठिन दौर से बिहार को निकाल कर विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया हो, उसे बदलने का सवाल ही नहीं है। भाजपा-जदयू का गठबंधन नेचुरल और सुशासन का प्रतीक है। लालू प्रसाद अगर जेल से बाहर आ जाएं तो एनडीए का रास्ता और आसान हो जाएगा। बिहार में एनडीए और यूपीए के वोट में 20 प्रतिशत का फासला है। इसे पाटना यूपीए के बूते में नहीं है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद अगर विधानसभा चुनाव के पहले जेल से बाहर आ जाएं तो एनडीए की राह और आसान हो जाएगी। 2010 में लालू प्रसाद जेल से बाहर ही थे, मगर एनडीए ने उन्हें 22 सीटों पर सिमटा दिया था। बिहार में एनडीए और यूपीए के वोट में 20 फीसदी का फासला है। 2010 और 2015 के चुनाव में यह अन्तर 18 से 23 प्रतिशत का था। अन्य राज्यों में तो 1 से 2 प्रतिशत के अन्तर से सरकारें बनती-बिगड़ती है। ऐसे में एनडीए से पार पाना यूपीए के लिए संभव नहीं है। विकास चाहने वाला कभी लालूवाद को स्वीकार नहीं कर सकता डिप्टी सीएम मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार प्रारंभ से ही बिहार में एनडीए के नेता रहे हैं आगे भी रहेंगे और मुख्यमंत्री के चेहरा भी हैं। उन्होंने सुशासन की एक ऐसी लम्बी लकीर खींच दी है जिसे मिटाना या बराबरी करना यूपीए के लिए कतई संभव नहीं है। बीच में राजद के साथ हुई जदयू की दोस्ती को जदयू कार्यकर्ताओं ने कभी स्वीकार नहीं किया। हम सबको मालूम था कि यह दोस्ती अधिक दिनों तक चलने वाली नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो विकास चाहने वाला है, वह कभी लालू प्रसाद और उनके ‘लालूवाद’ को स्वीकार ही नहीं कर सकता है। शहाबुद्दीन, राजबल्लभ और अरुण यादव के साये से निकलने को तैयार नहीं राजद उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि राजद एक ऐसी पार्टी है जो आज भी अपराधियों मसलन मो. शहाबुद्दीन, राजबल्लभ यादव और अरुण यादव जैसों के साये से बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं है। अगर राजद अपने 15 साल के गुनाहों के लिए बिहार की जनता से सार्वजनिक माफी मांगे तो कुछ सीमा तक चुनाव में टक्कर हो सकती है। मगर राजद को ऐसा करने की हिम्मत नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in