सैंट एंटी टैंक मिसाइल सफल, वायुसेना को मिलेगी
सैंट एंटी टैंक मिसाइल सफल, वायुसेना को मिलेगी  
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सैंट एंटी टैंक मिसाइल सफल, वायुसेना को मिलेगी

Raftaar Desk - P2

- भारत ने लगातार 12 नई मिसाइलों का परीक्षण करके रक्षा क्षेत्र की दुनिया में सबको चौंकाया - यह मिसाइल लॉन्च से पहले और बाद में भी लॉक-ऑन यानी दोनों क्षमताओं से लैस होगी नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (हि.स.)। भारत ने सोमवार को ओडिशा के तट से दूर सैंट एंटी टैंक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने यह मिसाइल भारतीय वायु सेना के लिए विकसित की है। इस मिसाइल की खासियत यह है कि ये लॉन्च के बाद वाले लॉक-ऑन और लॉन्च से पहले लॉक-ऑन दोनों तरह की क्षमता से लैस होगी। इसी के साथ इस मिसाइल के सारे परीक्षण पूरे हो गए और अब शीर्ष हमले के मोड में आने के बाद वायुसेना को इस्तेमाल करने के लिए सौंप दी जाएगी। भारत ने पिछले करीब एक महीने में लगातार 12 नई मिसाइलों का परीक्षण करके रक्षा क्षेत्र की दुनिया में सबको चौंका दिया है। ओडिशा समुद्री तट के चांदीपुर टेस्ट रेंज पर आज पूर्वाह्न 11.30 बजे इस सैंट एंटी टैंक मिसाइल का परीक्षण किया गया। सैंट मिसाइल को ध्रुवस्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को अपग्रेड करके बनाया गया है। यह डीआरडीओ रिसर्च सेंटर और भारतीय वायुसेना के संयुक्त अभियान के तहत तैयार की जा रही है। इसे एंटी टैंक मिसाइलों में सबसे बेहतरीन माना जाता है। दरअसल नाग मिसाइल की रेंज बढ़ाकर इसे ध्रुवस्त्र हेलीना मिसाइल का नाम दिया गया था। इसे एचएएल के रुद्र और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों पर ट्विन-ट्यूब स्टब विंग-माउंटेड लॉन्चर से लॉन्च किया गया। इसकी संरचना नाग मिसाइल से अलग है। मिसाइल का लॉक ऑन चेक करने के लिए 2011 में पहली बार एक लक्ष्य पर लॉक करके लॉन्च किया गया। उड़ान के दौरान हिट करने के लिए दूसरा लक्ष्य दिया गया, जिसे मिसाइल ने नष्ट कर दिया। इस तरह मिसाइल ने उड़ान में रहते हुए अचानक बदले गए लक्ष्य को मारने की क्षमता का प्रदर्शन किया। इसके बाद 13 जुलाई, 2015 को एचएएल ने तीन परीक्षण जैसलमेर, राजस्थान की चांधन फायरिंग रेंज में रुद्र हेलीकॉप्टर से किये। इन मिसाइलों ने 7 किलोमीटर की दूरी पर दो लक्ष्य मार गिराने में कामयाबी हासिल की, जबकि एक का निशाना चूक गया। इसके बाद ध्रुवस्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को अपग्रेड करके सैंट एंटी टैंक मिसाइल का नाम दिया गया। इस उन्नत संस्करण का पहला सफल परीक्षण नवम्बर, 2018 में राजस्थान के जैसलमेर के पोखरन फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया था। इसने तब एक डमी टैंक को नष्ट कर दिया था। यह भारत की पूर्ण रूप से स्वदेशी मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 15 से 20 किलोमीटर तक हैं। डीआरडीओ और भारतीय सेना ने इसकी अधिकतम मिसाइल रेंज और सटीकता की जांच करने के लिए 8 फरवरी, 2019 को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से 7-8 किमी की दूरी के साथ परीक्षण किया। ग्राउंड आधारित लांचर से बालासोर (ओडिशा) में 15 से 16 जुलाई, 2020 तक तीन विकासात्मक उड़ान परीक्षण किए गए हैं। आज हुए सफल परीक्षण के बाद अब यह सैंट एंटी टैंक मिसाइल सीधे और शीर्ष हमले के मोड में है, नई सुविधाओं के साथ उन्नत है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत-hindusthansamachar.in