"हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींचकर ही रहते हैं इतिहासों में लीक। दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है। सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।" राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जो सोच है वो आम जनमानस की सोच रही है। आज क्लिक »-www.prabhasakshi.com