महादेवी के काव्य में प्रणय, रहस्यवाद, छायावाद के दर्शन एकसाथ होते हैं: शाह
महादेवी के काव्य में प्रणय, रहस्यवाद, छायावाद के दर्शन एकसाथ होते हैं: शाह 
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महादेवी के काव्य में प्रणय, रहस्यवाद, छायावाद के दर्शन एकसाथ होते हैं: शाह

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 11 सितम्बर (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहा कि उनके काव्य में प्रणय, वेदना, करुणा, रहस्यवाद, छायावाद इत्यादि के दर्शन एकसाथ होते हैं। शाह ने ट्वीट कर कहा, 'आधुनिक मीरा के नाम से प्रख्यात महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि उन्होंने छायावाद को प्राण देने का काम किया। उनके काव्य में प्रणय, वेदना, करुणा, रहस्यवाद, छायावाद इत्यादि के दर्शन एकसाथ होते हैं।' महादेवी वर्मा को कवि निराला ने 'हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती' भी कहा है। महादेवी वर्मा का निधन 11 सितम्बर 1987 को उत्तर प्रदेश के प्रयाग में हुआ था। हिन्दुस्थान समाचार/अजीत/बच्चन-hindusthansamachar.in