देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवाओं की उद्यमशीलता की प्रतिभा का पोषण जरूरी: उपराष्ट्रपति
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवाओं की उद्यमशीलता की प्रतिभा का पोषण जरूरी: उपराष्ट्रपति 
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देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवाओं की उद्यमशीलता की प्रतिभा का पोषण जरूरी: उपराष्ट्रपति

Raftaar Desk - P2

सुशील बघेल नई दिल्ली, 27 अगस्त (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आने वाले समय में देश को 'आत्मानिर्भर’ बनाने के लिए युवाओं में उद्यमशीलता की प्रतिभा का पोषण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक की उद्यमशीलता की प्रतिभा और तकनीकी कौशल पर ध्यान देना चाहिए और अपने स्थानीय संसाधनों का उपयोग आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और बड़े पैमाने पर मानवता की सेवा करने के लिए करना चाहिए। उपराष्ट्रपति गुरुवार को सामाजिक उत्थान और भूदान आंदोलन के लिए महात्मा गांधी के दर्शन के प्रसार में आचार्य विनोबा भावे के योगदान पर एक वेबिनार 'गांधी इन न्यू इरा- विनोबा जी' को संबोधित कर रहे थे। यह वेबिनार संत विनोबा भावे की 125 वीं जयंती के अवसर पर 'हरिजन सेवक संघ' द्वारा आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि गांधी जी और विनोबा भावे ने ये दिखा दिया कि जनता की सक्रिय भागीदारी से समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सशक्त, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की कल्पना विनोबा जी और गांधी जी ने की थी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत की अवधारणा अति-राष्ट्रवादी और संरक्षणवादी नहीं है, बल्कि वैश्विक कल्याण में अधिक महत्वपूर्ण भागीदार बनने के लिए है। महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता के बारे में बात करते हुए नायडू ने कहा कि गांधी जी आज भी हमारे मार्गदर्शक हैं, क्योंकि वे एक ऐसे प्रर्वतक थे, जिन्होंने लगातार प्रयोग किए। आचार्य विनोबा भावे को गांधीजी का एक आदर्श शिष्य करार देते हुए नायडू ने कहा कि उनका मानना था कि भारतीयता का सार एक देखभाल करने वाला रवैया और त्याग और सेवा की भावना है। इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉ शंकर कुमार सान्याल, हरिजन संघ के सचिव डॉ रजनीश कुमार और अन्य लोग उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in