चंद्रशेखर-उपाध्याय-को-‘न्यायमित्र-पुरस्कार’-लौटाकर-भी-नहीं-मिला-न्याय
चंद्रशेखर-उपाध्याय-को-‘न्यायमित्र-पुरस्कार’-लौटाकर-भी-नहीं-मिला-न्याय 
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चंद्रशेखर उपाध्याय को ‘न्यायमित्र पुरस्कार’ लौटाकर भी नहीं मिला न्याय

Raftaar Desk - P2

लखनऊ। देश के न्यायिक इतिहास में 19 फरवरी, 2005 की तारीख विशेष अहमियत रखती है। वह इसलिए कि इसी तारीख को हिंदी को सम्मान दिलाने के लिए अपने छात्र जीवन से संघर्ष करने वाले न्यायाधीश चंद्रशेखर उपाध्याय (Chandrashekhar Upadhyay) को उनके विलक्षण सेवा कार्य को देखते हुए देश का प्रतिष्ठित क्लिक »-www.newsganj.com