कोरोना से काम में शिथिलता आई, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तेजी से काम होगाः तारकिशोर
कोरोना से काम में शिथिलता आई, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तेजी से काम होगाः तारकिशोर 
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कोरोना से काम में शिथिलता आई, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तेजी से काम होगाः तारकिशोर

Raftaar Desk - P2

-उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कम लोन बांटे जाने पर बैंक अधिकारियों को लगाई फटकार -सितम्बर 20202 तक एनपीए 11.38 प्रतिशत गोविन्द चौधरी पटना, 21 दिसम्बर (हि.स.)। बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी (एसएलबीसी) की 74वीं बैठक यहां हुई । बैठक में वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कम लोन बांटे जाने पर बैंक अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, बिहार सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है, उसे पूरा करने में बैंक मदद करेगा। कोरोना के समय और चुनाव के कारण जो काम में शिथिलता आई है, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तेजी से अधिक काम होगा। वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद की कम लोन बांटे जाने पर लगाए गए फटकार के जवाब में पर बैंकों ने अपनी लाचारी बयां की। बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि बिहार में एनपीए का प्रतिशत 11.38 हो गया है, जो काफी ज्यादा है। राज्य में सभी निजी और सरकारी बैंकों ने कुल एक लाख 51 हजार 933 करोड़ के कर्ज वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही (मार्च-सितम्बर) के दौरान तक बांटे हैं, जिसमें 17 हजार 258 करोड़ के लोन एनपीए में फंसे हुए हैं। कर्ज के तौर पर बांटी गई इस रकम की न तो रिकवरी हो पा रही है, न ही प्रति महीने किस्त ही मिल रही है। बैंकों के अनुसार इसमें 104 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनसे वसूली की आस छोड़ दी है। इसमें साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। सबसे ज्यादा कृषि सेक्टर के ऋण में कुल एनपीए 22 प्रतिशत फंसा हुआ है।मध्यम एवं लघु उद्योग और बड़े उद्योगों को दिये गये कर्ज को मिला दिया जाये, तो यह 10 प्रतिशत के आसपास है। प्राथमिक सेक्टर में एनपीए 15.98 प्रतिशत और गैर-प्राथमिक सेक्टर में 1.89 प्रतिशत है। राज्य में सबसे ज्यादा एनपीए दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का है, जो करीब 25 प्रतिशत का है। दूसरे नंबर पर पंजाब नेशनल बैंक का 23.41प्रतिशत है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन का हाल बुरा है। एसएलबीसी की इस बैठक में बैंकों की तरफ से साल की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) की रिपोर्ट में केसीसी लोन का बुरा हाल सामने आया है। डेयरी क्षेत्र में केसीसी का लक्ष्य 4500 करोड़ था, जबकि केवल 44 करोड़ केसीसी लोन हुए हैं। मछलीपालन के क्षेत्र में 2500 करोड़ का केसीसी लोन का लक्ष्य रखा गया था, जबकि केवल 2 करोड़ केसीसी लोन हुए हैं। मुर्गीपालन के क्षेत्र में 2211 करोड़ केसीसी लोन देना था, लेकिन इसमें 41 करोड़ का ही केसीसी लोन हो सका है। साल 2020-21 में कुल 51,658 एजुकेशनल लोन देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन लक्ष्य का 41.90 फीसदी ही एजुकेशन लोन हो सका। एलबीसी की बैठक में आज अध्यक्षता वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद कर रहे थे, जबकि इससे पहले वित्त मंत्री के तौर पर सुशील कुमार मोदी इसकी अध्यक्षता करते रहे थे। इसके अलावा बैठक में कुछ नहीं बदला। न बैंकों की तरफ से दिये जा रहे आंकड़े और ना सरकार की तरफ से कही जा रहीं बातें। सिंचाई भवन के अधिवेशन भवन में आयोजित इस बैठक में जो आंकड़े सामने आये, उससे साफ हो गया कि आखिर क्यों योजना पर योजना आने के बावजूद बिहार की अर्थव्यस्था पटरी पर नहीं आ रही है। एसएलबीसी की अपनी पहली बैठक में वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बैंकों को जो निर्देश दिये वो हैं। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in