Zimbabwe (Most Miserable Nation)
Zimbabwe (Most Miserable Nation) 
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World Most Miserable Nation: बदहाली में ये अफ्रीकी देश टॉप पर, जानिए कौन है सबसे खुशहाल

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे दुनिया के सबसे बदहाल देशों की सूची में पहले स्थान पर है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री स्टीव हैंके द्वारा संकलित एनुअल मिजरी इंडेक्स (HAMI) के अनुसार जिम्बाब्वे वर्तमान में दुनिया का सबसे खराब आर्थिक रूप से नाखुश देश है। आश्चर्यजनक रूप से जिम्बाब्वे में स्थिति युद्धग्रस्त यूक्रेन, सीरिया और सूडान से भी बदतर है।

जिम्बाब्वे में बढ़ती मंहगाई मुख्य वजह

जिम्बाब्वे की इस हालत के कई कारण हैं। इसमे मुख्य तौर पर बढ़ती मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और देश में ऋण पर उच्च ब्याज दर शामिल हैं। इसके अलावा स्टीव हैंके ने जिम्बाब्वे की सत्तारूढ़ ZANU-PF पार्टी और सरकार की गलत नीतियों के कारण देश को इस हालात में डालने का जिम्मेदार ठहराया।

भारत का 103वां स्थान

स्टीव हैंके एनुअल सफ़रिंग इंडेक्स में 157 देशों को शामिल किया गया। इसमे भारत का नाम भी शामिल है। एनुअल सफ़रिंग इंडेक्स के मुताबिक भारत में ज्यादातर लोग बेरोजगारी के कारण दुखी हैं। भारत रैंकिंग में 103वें स्थान पर है।

अमेरिका में बेहतर हालात

वहीं दूसरी ओर 134वें नंबर की लिस्ट में अमेरिका का नाम भी शामिल रहा। अमेरिका में लोगों के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी वजह मानी जाती है। दूसरी ओर, पिछले छह वर्षों से "दुनिया का सबसे खुशहाल देश" कहे जाने वाले फिनलैंड इस सूचकांक में 109वें स्थान पर है।

टॉप 15 गरीब देश

वार्षिक गरीबी सूचकांक में जिम्बाब्वे के बाद शीर्ष 15 में वेनेजुएला, सीरिया, लेबनान, सूडान, अर्जेंटीना, यमन, यूक्रेन, क्यूबा, ​​तुर्की, श्रीलंका, हैती, अंगोला, टोंगा और घाना का नाम है, जो देशों द्वारा बनाई गई आर्थिक स्थिति को मापता है।

स्विट्जरलैंड के हालात सबसे बेहतर

वहीं यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड इंडेक्स में सबसे नीचे यानी 157वें स्थान पर काबिज है। सबसे ज्यादा खुश रहने वाले लोग स्विट्जरलैंड में रहते हैं। स्विट्जरलैंड के साथ खाड़ी देश कुवैत 156वें, आयरलैंड 155वें, जापान 154वें, मलेशिया 153वें, ताइवान 152वें, नाइजर 151वें और थाईलैंड 150वें स्थान पर है।

बैंकों से ली गई रिपोर्ट

आपको बता दें कि एनुअल मिजरी इंडेक्स तैयार करने वाले स्टीव हैंके अमेरिका की मशहूर जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। यह सूचकांक बेरोजगारी दर मुद्रास्फीति और देशों में बैंकों द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर के आधार पर संकलित किया जाता है।

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