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स्कूली छात्रों को वेद आधारित शिक्षा भी प्रदान की जाए: संसदीय समिति

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति चाहती है कि स्कूली छात्रों को वेद और ग्रंथों पर आधारित शिक्षा भी प्रदान की जाए। इसके लिए स्कूल की किताबों में वेदों और अन्य ग्रन्थों को शामिल किया जाए। समिति ने अपनी यह सिफारिश संसद के समक्ष रखी है। भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने स्कूली किताबों और छात्रों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की सिफारिश की है। समिति के मुताबिक एनसीईआरटी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में वेदों एवं अन्य ग्रन्थों पर आधारित शिक्षा व ज्ञान को शामिल करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि आज की चुनौतियों से निपटने के लिएहम तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी विश्वविद्यालयों से प्रेरणा ले सकते हैं जिन्होंने शिक्षण और अनुसंधान के उच्च स्तर निर्धारित किए थे। विशेष ज्ञान प्राप्त करने के लिए दुनिया भर के विद्वान और छात्र इन केंद्रों में आए थे। उस प्राचीन प्रणाली में आधुनिकता के कई तत्व थे और उसने चरक, आर्यभट्ट, चाणक्य, पाणिनि, पतंजलि, गार्गी, मैत्रेयी और थिरुवल्लुवर जैसे महान विद्वानों को जन्म दिया। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, व्याकरण और सामाजिक विकास में अमूल्य योगदान दिया। दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों ने भारतीय विद्वानों के कार्यों का अनुवाद किया और ज्ञान के और विकास के लिए उनकी शिक्षाओं का इस्तेमाल किया। आज के भारतीय विद्वानों को इस तरह के मूल ज्ञान का सृजन करने की कोशिश करनी चाहिए, जिसका इस्तेमाल समकालीन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए किया जाए। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने कहा है कि नालंदा , विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों का अध्ययन किया जाए। आज की आवश्यकताओं के अनुरूप उसमें बदलाव कर शिक्षकों को उससे अवगत कराया जाए। संसदीय समिति ने स्वतंत्रता संग्राम को लेकर भी न्यायपूर्ण अवधारणा तैयार करने पर जोर दिया है। उन स्वतंत्रता सेनानियों को पाठ्यक्रम में स्थान देने की बात कही गई है, जिन्हें अभी तक उचित स्थान नहीं मिला है। इससे पहले शिक्षा की संसदीय स्थायी समिति ने सुझाव दिया था कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन को विदेश में अपनी शाखाएं खोलनी चाहिए। समिति के मुताबिक केन्द्रीय विद्यालय संगठन को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे भारतीयों की संख्या को ध्यान में रखते हुए विदेशों में अपना विस्तार करना चाहिए। भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने बजट सत्र के दौरान संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। अपनी रिपोर्ट में समिति ने केंद्रीय विद्यालयों के कामकाज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। पैनल ने सुझाव दिया कि केंद्रीय विद्यालय संगठन को और अधिक छात्रों को समायोजित करने के लिए विदेशों में भी अपनी शाखाएं खोलनी चाहिए। संसदीय समिति ने कहा कि कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई भारतीय बसे हुए हैं, इसलिए इन देशों में केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए एक व्यवहार्यता अध्ययन करना चाहिए। वर्तमान में मॉस्को, तेहरान और काठमांडू जैसे विदेशी शहरों में केंद्रीय विद्यालय मौजूद हैं। यह सभी स्कूल वहां दूतावास के अंदर हैं और इनका खर्च विदेश मंत्रालय द्वारा वहन किया जा रहा है। --आईएएनएस जीसीबी/आरजेएस