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सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू झगड़े के मामले में पति से कहा, पत्नी के साथ सम्मान से पेश आएं, नहीं तो जेल जाएं

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वैवाहिक झगड़े से संबंधित एक मामले में सुनवाई के दौरान एक पति से कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ सम्मान से पेश आए और अगर वह इसमें विफल रहता है, तो जेल जाने के लिए तैयार रहे। पत्नी ने आरोप लगाया है कि पति ने उसे प्रताड़ित किया और उसके साथ सम्मानित व्यवहार भी नहीं किया गया। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की वर्चुअल सुनवाई करते हुए पति-पत्नी दोनों को ऑनलाइन आने को कहा। इस जोड़े के बीच समझौता करने के प्रयास में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने दंपति से हिंदी में बातचीत की। पत्नी ने कहा कि वह अपने पति के साथ रहने को तैयार है, लेकिन वह उसके साथ सम्मान से पेश नहीं आता। इसके बाद न्यायमूर्ति यूर्यकांत ने हिंदी में बात करते हुए पति से कहा, हम आपके व्यवहार को देखेंगे। अगर आप कुछ भी गलत करते हैं, तो हम आपको नहीं बख्शेंगे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पति को आगाह किया कि वह अपनी पत्नी के साथ सम्मान के साथ पेश आने के वादे से पीछे न हटें और तलाक की याचिका सहित अपनी पत्नी के खिलाफ सभी मामले वापस लेने को कहा। प्रधान न्यायाधीश ने पति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश से कहा, मामलों को वापस लेने के लिए एक हलफनामा दाखिल करें। लेकिन अगर पति गलत व्यवहार करता है, तो हम उसे वापस जेल भेज देंगे। हम मामले को लंबित रख रहे हैं। पति ने कहा कि वह उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा और शांति से उसके साथ रहेगा। महिला ने समझौते की शर्त पर जोर देते हुए कहा, बस मुझे टॉर्चर (यातना देना) न करें। पीठ ने पति को चेतावनी देते हुए कहा, अगर वह जमानत के लिए ड्रामा कर रहा है, तो हम नहीं छोड़ेंगे। पीठ ने जोर देकर कहा कि जोड़े को अपने रिश्ते को सामान्य करना चाहिए और प्रकाश से कहा कि उसे ऐसा करना चाहिए था न कि अदालत को। दंपति एक दूसरे के खिलाफ सभी मामले वापस लेने पर सहमत हुए। पीठ ने कहा कि वह मामले को लंबित रखेंगे और पति से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामा दायर कर बताएं कि सभी केस वापस लेने को तैयार हैं। आंध्र प्रदेश के रहने वाले प्रधान न्यायाधीश रमना ने पिछले हफ्ते तेलुगु में एक महिला से बात की थी, ताकि आंध्र प्रदेश के एक अलग रह रहे जोड़े के बीच दो दशक पुरानी कानूनी लड़ाई को समाप्त किया जा सके। दंपति के बीच दो दशक पुरानी कानूनी लड़ाई चल रही थी और महिला ने अपने पति की जेल की सजा बढ़ाने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मामले में आसानी से बातचीत को सफल बनाने के इरादे से प्रधान न्यायाधीश रमना ने महिला को तेलुगु में कानूनी स्थिति के बारे में बताया और कहा कि जेल की अवधि बढ़ाने से दोनों में से किसी को भी मदद नहीं मिलेगी। अंत में, महिला दहेज के एक मामले में अपने पति के लिए जेल की अवधि बढ़ाने की मांग वाली याचिका वापस लेने के लिए तैयार हो गई। --आईएएनएस एकेके/आरजेएस