states-should-analyze-ncrb-data-properly-to-check-crime-amit-shah
states-should-analyze-ncrb-data-properly-to-check-crime-amit-shah 
देश

अपराध पर नियंत्रण के लिये एनसीआरबी के आंकड़ों सही तरीके से विश्लेषण करें राज्य: अमित शाह

Raftaar Desk - P2

नयी दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सभी राज्यों की पुलिस से कहा कि वे अपराध पर लगाम लगाने की अपनी वार्षिक रणनीति तैयार करने से पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का सही तरीके से विश्लेषण करें। शाह ने साथ ही कहा कि सभी केंद्रीय एजेंसियों को अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम से जुड़ना चाहिये। गृह मंत्री ने यहां एनसीआरबी के 37वें स्थापना दिवस समारोह में कहा कि गृह सचिव को इस संबंध में सभी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के साथ बैठक करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि अगर एनसीआरबी का आंकड़ा सही फॉर्मेट में सही समय पर सभी राज्यों को उपलब्ध कराया जाता है और सभी राज्य इन आंकड़ों के विश्लेषण के लिये एक प्रणाली विकसित करते हैं तो देश में अपराध की दर काफी तेजी से घटेगी। उन्होंने कहा कि एनसीआरबी का आंकड़ाा सभी राज्यों के पुलिस मुख्यालयों, जिला पुलिस अधिकारियों और थानों के साथ साझा किया जाना चाहिये। उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि आंकड़ों के विश्लेषण को सिर्फ शीर्ष अधिकारियों तक सीमित नहीं रखना चाहिये बल्कि देश के हर पुलिस थाने में इसे पहुंचाया जाना चाहिये, नहीं तो इसका कोई लाभ नहीं होगा। गृह मंत्री ने कहा कि सिर्फ आंकड़े ही इच्छित परिणाम नहीं देते हैं बल्कि इसे समझना और जागरुकता भी इसे पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिये जरूरी है। इसके लिये एनसीआरबी के निदेशक को राज्यों के पुलिस महानिदेशकों के साथ बैठक करनी चाहिये और उन्हें अपराध के आंकड़ों के विश्लेषण से रुबरु कराना चाहिये। उन्हें यह बताना चाहिये कि किसत तरह इन आंकड़ों का इस्तेमाल अपराध की जांच उसकी रोकथाम के लिये किया जा सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि राज्यों की पुलिस को सिर्फ अपराध दंड संहिता की धाराओं को नहीं देखना चाहिये बल्कि उसके सामाजिक पहलू को भी देखना चाहिये। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि सूखा ग्रस्त इलाकों में अपराध क्यों अधिक है या किसान विवादों में क्यों लगे हैं, जिससे वे जख्मी होते हैं या कभी -कभी मौत भी हो जाती है। उन्होंने कहा कि अपराध पर लगाम लगाने का कोई हल तब तक नहीं मिल सकता, जब तक हम एनसीआरबी के आंकड़े को आईपीसी की धाराओं के नजरिये से देखते रहेंगे। --आईएएनएस एकेएस/आरजेएस