नई दिल्लीः राजस्थान के सत्ता संघर्ष को लेकर कांग्रेस चौतरफ़ा संघर्ष से घिर गयी है। इससे निपटने के लिये पार्टी ने अपने सभी दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया है और रणनीति का संचालन स्वयं सोनिया गाँधी कर रही हैं। भाजपा, बसपा, राज्यपाल और कानूनी लड़ाई के लिये पार्टी ने अलग-अलग टीम तैनात की है। क़ानूनी मसलों से निपटने की ज़िम्मेदारी कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान ख़ुर्शीद, अश्वनी कुमार और विवेक तन्खा को सौंपी गयी है। राज्यपाल से निपटने की रणनीति बनाने का काम पूर्व गृह मंत्री और कानून विशेषज्ञ पी चिदंबरम देख रहे हैं। सूत्रों के अनुसार राज्यपाल कलराज मिश्रा जिस तरह गहलोत सरकार के सत्र बुलाने के प्रस्ताव पर सवाल उठा रहे हैं उनके जबाब चिदंबरम की सलाह से तैयार किये जा रहे हैं। भाजपा और बसपा से कांग्रेस राजनीतिक तौर पर निपटना चाहती है, जिसके लिए अहमद पटेल, प्रियंका गाँधी, अजय माकन, अशोक गहलोत, केसी वेणुगोपाल, अविनाश पांडेय, रणदीप सुरजेवाला को सोनिया ने मैदान में उतार दिया है। पार्टी सूत्रों अहमद पटेल इस मसले पर जहाँ दूसरे दलों से चर्चा कर रहे हैं तो सुरजेवाला, माकन पार्टी प्रवक्ताओं को साथ लेकर मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिये पार्टी का पक्ष रखने के प्रयास में जुटे हैं। दरअसल कांग्रेस अमित शाह -मोदी की जोड़ी को संदेश देने की कोशिश कर रही है कि अरुणाचल ,गोवा और मध्य प्रदेश के खेल की पुनरावृत्ति राजस्थान में नहीं होने देगी, चाहे उसे कोई क़ीमत क्यों न चुकानी पड़े।-newsindialive.in