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मप्र में योग आयोग के गठन की कवायद पर सियासी तकरार

Raftaar Desk - P2

भोपाल, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में योग आयोग का गठन के एलान के साथ सियासी तकरार तेज हो गई है। भाजपा ने जहां इसे आमजन को योग के प्रति प्रेरित करने की दिशा में सार्थक कदम बताया है, वहीं कांग्रेस इसे आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला कदम करार दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरिद्वार प्रवास के दौरान गुरुवार को योग आयोग के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि योग की शिक्षा का कार्य अभियान के रूप में चलेगा। साथ ही योग विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों और अनुभवी योगाचार्यो से मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा। खेल विभाग की गतिविधियों में भी योग को शामिल किया जाएगा। राष्ट्रभक्त, चरित्रवान और परोपकारी नागरिक तैयार करने में भी योग की शिक्षा का उपयोग किया जाएगा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने राज्य में योग को बढावा देने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा योग आयोग गठन का निर्णय लिए जाने पर आभार जताते हुए इस निर्णय को जनता के हित में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने कहा कि निरोगी काया रखने में योग का सबसे अहम योगदान होता है। कोरोना काल में योग की उपयोगिता सिद्ध हो चुकी है। कोरोना संक्रमित लोगों के लिए प्राणायाम संजीवनी के रूप में साबित हुआ। जिसके सकारात्मक परिणाम भी हम सबको देखने को मिले। उन्होंने कहा कि योग को लेकर आमजन प्रेरित हो इस दिशा में योग आयोग के गठन की सार्थकता होगी। वहीं कांग्रेस ने इस कोशिश पर सवाल उठाए है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैयद जाफर ने कहा, कर्ज में डूबी शिवराज सरकार अपने कार्यकर्तओं को सरकारी सुविधा प्रदान करने के लिए एक बार फिर योग आयोग बनाकर सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है। उन्होंने आयोगों के गठन के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा, इसके पूर्व जितने भी आयोग बने हैं सरकार बताए कि इससे आम जनता को क्या लाभ मिला, पूर्व के आयोगों के आफिस के ताले नहीं खुल रहे हैं । आयोगों के अध्यक्ष जनता के बीच में नहीं है। यह सिर्फ शासकीय सुविधाओं का लाभ लेकर सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं। --आईएएनएस एसएनपी/आरएचए