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शोर मुक्त वातावरण जीवन के अधिकार का हिस्सा, इसका उल्लंघन अपराध: एनजीटी

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 14 जून (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने कहा है कि शोर मुक्त वातावरण जीवन के अधिकार का हिस्सा है और इसका उल्लंघन एक अपराध है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह टिप्पणी पंजाब के होशियारपुर जिले में गुरुद्वारों में ध्वनि प्रदूषण का आरोप लगानेवाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की। एनजीटी ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में धार्मिक निकायों सहित किसी भी व्यक्ति को सक्षम प्राधिकरण की लिखित अनुमति के बिना लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जाए। ऐसे में इस मामले पर कोई दूसरा आदेश देने की जरुरत नहीं है। एनजीटी ने होशियारपुर के डीएम और एसएसपी को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता की शिकायत पर कानून के मुताबिक विचार करें। पंजाब निवासी बलविंदर कौर ने दायर याचिका में कहा था कि होशियापुर के गुरुद्वारों और दूसरे पूजा स्थलों खासकर तहसील दसुया के हमजा गांव में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। होशियारपुर के सक्षम प्राधिकारी ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि छेवी पटशाही गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, गुरु नानक दुख भंजन सत्संग घर प्रबंधक कमेटी, पास्टर अमानत खान मेमोरियल जीएन चर्ज कोटली खुर्द, गुरुद्वारा सिंह सभा और गुरुद्वारा कला कुलियां काफी तेज आवाज में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं। याचिकाकर्ता ने इनकी शिकायत दसुया के एसडीएम और पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से की लेकिन कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद याचिकाकर्ता ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत