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एनजीटी ने यूपी के बांदा के डीएम से कहा, 1.45 करोड़ रुपये के अवैध खनन जुर्माने की समीक्षा करें

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 3 मई (आईएएनएस)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश के बांदा के जिला मजिस्ट्रेट को अवैध रूप से खनन की गई सामग्री के मूल्य का सत्यापन करने का निर्देश दिया है और पूर्व में लगाए गए 1.45 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय जुर्माने की समीक्षा करने को कहा है। अध्यक्ष, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एनजीटी की प्रधान पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य कारण बनाम भारत संघ और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले के संदर्भ में जुर्माने की राशि में अवैध रूप से खनन सामग्री का मूल्य शामिल है। 29 अप्रैल के आदेश में कहा गया है, हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि खनन सामग्री के मूल्य की गणना कैसे की जाती है, जब पट्टा राशि प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपये है, जैसा कि ट्रिब्यूनल के आदेश में उल्लेख किया गया है। जिला मजिस्ट्रेट इस प्रकार इस पहलू को देख सकते हैं और मूल्य का सत्यापन कर सकते हैं। यदि खनन सामग्री का मूल्य अधिक पाया जाता है, तो कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। आवेदक हैदर खान द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, कंपनी आर.एस.आई. स्टोन वल्र्ड लिमिटेड जिले की नारायणी तहसील में राज्य पीसीबी से सहमति के बिना पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करते हुए रेत खनन में शामिल है। एनजीटी के हस्तक्षेप पर राज्य पीसीबी ने 22 सितंबर, 2020 को कंपनी द्वारा मानदंडों का उल्लंघन पाया था। समिति ने पोकलैंड मशीनों के उपयोग के साथ तीन मीटर तक की अधिकतम अनुमत गहराई के मुकाबले छह मीटर नीचे खनन पाया था। कुछ लिफ्टर मशीनों का उपयोग केन नदी के अंदर होना पाया गया था। बांदा के जिलाधिकारी ने पट्टा रद्द कर परियोजना प्रस्तावक को काली सूची में डाल दिया और साथ ही 1.45 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा भी थमा दिया। अन्य कार्रवाई के अलावा 15 मार्च 2020 को भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम