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एनजीटी ने विष्णुगढ़-पीपलकोटी हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर सुनवाई स्थगित की

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 12 फरवरी (आईएएनएस)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने उत्तराखंड के चमोली जिले में 444 मेगावाट की विष्णुगढ़-पीपलकोटी हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजना को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के खिलाफ अपील की सुनवाई 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। भरत झुनझुनवाला और अन्य द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि चमोली जिले की तहसील जोशीमठ के ग्राम हाट में स्थित मैसर्स टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा 141.568 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थित परियोजना को 22 अगस्त, 2007 को दस वर्षों के लिए प्रारंभिक ईसी प्रदान किया गया था, जिसे अब तक और विस्तार दिया गया है। इसमें कहा गया है कि हालांकि, परियोजना चालू नहीं हुई है और अभी भी निर्माणाधीन है। परियोजना विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित है। लगभग 3,800 करोड़ रुपये की कुल लागत में से 50 प्रतिशत से अधिक खर्च किया जा चुका है। इससे पहले 8 अक्टूबर, 2021 को एनजीटी ने इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर नदी घाटी और हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) से विशेषज्ञ राय मांगी थी। याचिका के अनुसार, लागत-लाभ विश्लेषण यानी कॉस्ट-बेनेफिट एनालिसिस (सीबीए) परियोजना को छोड़ने के पक्ष में है। यह प्रस्तुत किया गया कि जनसुनवाई से छूट देने की आवश्यकता नहीं है और यह न ही वैध है, क्योंकि परियोजना 50 प्रतिशत तक पूरी नहीं हुई है, जैसा कि इस तरह की छूट के लिए आवश्यक है। इसने आगे कहा कि ईएसी ने शमन उपायों का उचित मूल्यांकन नहीं किया है। याचिका में कहा गया है, यह कमियों, विशेष रूप से मिट्टी के कटाव, ब्लास्टिंग, पानी की गुणवत्ता में गिरावट, सौंदर्य मूल्यों की हानि और जलीय जैव विविधता के नुकसान की अनदेखी करते हुए तेजी से पर्यावरण प्रभाव आकलन द्वारा चला गया है। इन प्रभावों का विधिवत मूल्यांकन नहीं किया गया है और न ही सीबीए में शामिल किया गया है। विष्णुगढ़ पीपलकोटी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (वीपीएचईपी) अलकनंदा नदी पर प्रस्तावित 444 मेगावाट (मेगावाट) रन-ऑफ-द-रिवर पनबिजली परियोजना है, जो गंगा की एक सहायक नदी है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम