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देश

रायसीना हिल्स तक पहुंचने में मातृभूमि परौंख की रही प्रेरणा: राष्ट्रपति

Raftaar Desk - P2

-गांव की मिट्टी और निवासियों के आर्शीवाद व स्नेह से बना देश का प्रथम नागरिक -परौंख की धरती को राष्ट्रपति ने किया नमन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री हुए भावुक अजय सिंह कानपुर देहात, 27 जून (हि.स.)। सचमुच में आज मैं जहां तक पहुंचा हूं, उसका श्रेय परौंख गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है। मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह करके दिखा दिया। मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन व राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया। यह बातें रविवार को राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अपनों के बीच पहुंचे रामनाथ कोविंद ने अपने पैतृक गांव कानपुर देहात के परौंख में कहीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आगे कहा कि आज इस अवसर पर देश के स्वतन्त्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हों। आज मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है। राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद भी अपने ससुराल में बेहद खुश दिखाईं दीं। इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद देवेन्द्र सिंह भोले सहित विधायकगण और भाजपा के पदाधिकारी मौजूद रहे। स्वर्ग से बढ़कर जन्मभूमि का होता है गौरव राष्ट्रपति ने कहा कि मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही। जन्मभूमि से जुड़े ऐसे ही आनंद और गौरव को व्यक्त करने के लिए संस्कृत काव्य में कहा गया है जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है। वहीं राष्ट्रपति ने गांव में अपनों से मिलकर प्यार लुटाया। कवच की तरह है टीकाकरण वर्तमान दौर में चल रही वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे देश में और उत्तर प्रदेश में भी टीकाकरण का अभियान चल रहा है। वैक्सीनेशन भी कोरोना महामारी से बचाव के लिए कवच की तरह है। इसीलिए मेरा सुझाव है कि आप सभी स्वयं तो टीका लगवाएं ही, दूसरों को भी वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करें। पैतृक गांव की धरती पर उतरते ही हुए नतमस्तक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पत्नी सविता कोविंद के साथ रविवार को अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने हेलीकॉप्टर से उतरते ही सबसे पहले अपनी धरती को नमन किया और अपनी माटी को माथे पर लगाते हुए आगे बढ़े। राष्ट्रपति के इस भावपूर्ण भाव को देखकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी भावुक हो गये। राष्ट्रपति का अपनी धरती से लगाव और भावपूर्ण भाव उनके नतमस्तक चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। राष्ट्रपति के इस भाव को देखकर गांव के लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और वह भी भावुक हो गए। आपसे ज्यादा मुझे खुशी राष्ट्रपति ने कहा कि मेरे आगमन पर आप जितने खुश हैं उससे ज्यादा कहीं खुशी मुझे है। गांव आकर उन्हें बहुत ही अच्छा महसूस हुआ। लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया, यह देखकर मैं आहलादित हूं। हेलीकाप्टर से उतरने के बाद मैंने सबसे पहले अपनी जन्मभूमि को चरण स्पर्श किया। इस बार काफी विलंब से गांव आना हुआ। कामना करता हूं कि आगे से ऐसा न हो। गांव आकर सबसे पहले पथरी देवी के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने का सौभाग्य भी मुझे मिला। इसके बाद मैं अपने पुश्तैनी मकान गया, जिसे मिलन केंद्र के रुप में परिवर्तित कर दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि वह जहां तक पहुंचे हैं, उसके लिए गांव की मिट्टी का आशीर्वाद है, यह मेरी जन्मभूमि नहीं, बल्कि प्रेरणा स्थल है। राष्ट्र निर्माण में लगें युवा मातृभूमि परौंख के बाद राष्ट्रपति राजनीतिक कर्मस्थली पुखरायां पहुंचे। पुखरायां में सबसे पहले पटेल प्रतिमा पर पुष्पांजलि के बाद उन्होंने रामस्वरुप ग्रामोद्योग इंटर कालेज के मैदान में बने पंडाल में इष्ट मित्रों और परिचितों से मुलाकात की। इसके बाद मंच पर पहुंचकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। राष्ट्रपति के पुखरायां पहुंचते ही एक झलक पाकर हर कोई गदगद दिखा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देवियों और सज्जनों व युवा साथियों मैं देख रहा था कि सबसे पीछे युवा शक्ति खड़ी है व ऊर्जा का प्रदर्शन भी वह कर रहे। जब मैं यहां आया तो यादें ताजा हो गई। 1991 में उस समय एक दल ने मुझे घाटमपुर लोकसभा का चुनाव लड़ाया था, पहली बार पुखरायां आकर लोगों से मिला। पुखरायां मेरे हृदय में है, मैं कहीं भी रहूं यहां का प्यार सदैव मिलता रहा। यहां के सुख-दुख में शामिल होने में खुशी होती है। मेरा चुनाव कार्यालय यहीं रहा, मित्रों के घर रुकना व भोजन आज भी याद है। मित्रों का स्मरण होता है, यहां के सत्यनारायण सचान और राजाराम तिवारी की याद आती है। युवा का उत्साह व ललक ज्यादा होता है तो मैं कहता हूं कि मुझमें व राज्यपाल में यह उत्साह अधिक है। युवा राष्ट्र निर्माण में लगे, आप आगे बढ़ेंगे तो पुखरायां भी आगे बढ़ेगा। हिन्दुस्थान समाचार