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कमर्शियल मुकदमे में पक्षकारों को बिना सोचे समझे अपील दायर करने से बचना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कमर्शियल मुकदमेबाजी में लगे पक्षों को वाणिज्यिक हितों को तौलना चाहिए और बिना सोचे-समझे अपील दायर करने से बचना चाहिए। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, कमर्शियल मुकदमेबाजी में, पार्टियों को वाणिज्यिक हितों को तौलना चाहिए, जिसमें अदालतों द्वारा अनुकूल विचार नहीं प्राप्त करने वाले मामले के परिणाम शामिल होंगे। नासमझ अपील का नियम नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा कि निविदा क्षेत्राधिकार कमर्शियल मामलों की जांच के लिए बनाया गया था और इस प्रकार, जहां लगातार पार्टियां टेंडरों के पुरस्कार को चुनौती देना चाहती हैं। हमारा विचार है कि सफल पार्टी को लागत मिलनी चाहिए और जो पार्टी हारती है उसे लागत का भुगतान करना होगा। यह वास्तव में दो वाणिज्यिक संस्थाओं के बीच एक लड़ाई थी जो दो अन्य संस्थाओं को एक टेंडर का पुरस्कार अलग करने की मांग कर रही थी। क्या अन्यथा व्यावसायिक हित होगा! उन्होंने कहा, कंपनी, यूएफएलईएक्स लिमिटेड द्वारा एक अपील की अनुमति देते हुए, मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दो अन्य कंपनियों को अनुमति दी गई, जो पाई का हिस्सा आकर्षित करने के लिए एक सरकारी बोली में असफल रहीं। पीठ ने प्रतिवादी कंपनियों को 23 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने और मुकदमे के खर्च के लिए राज्य सरकार को 7.5 लाख रुपये का निर्देश देते हुए कहा, हम इस प्रकार स्पष्ट रूप से इस विचार के हैं कि उपरोक्त सभी कारणों से आक्षेपित आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता है और इसे अलग रखा जाना चाहिए और अपील की अनुमति दी जानी चाहिए। यह मामला तमिलनाडु सरकार द्वारा शराब की प्रत्येक बोतल पर स्टिकर चिपकाने और इसके लिए निविदा आमंत्रित करने का निर्णय कर नकली शराब की बिक्री को रोकने के प्रयास से जुड़ा है। कई कंपनियों ने अपनी बोली लगाई। दो कंपनियों ने बोली में भाग लिए बिना मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष इस प्रक्रिया को चुनौती दी और दावा किया कि निविदा इस तरह से डिजाइन की गई थी, जिससे कुछ कंपनियों को भाग लेने की अनुमति मिली। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस साल अप्रैल में तमिलनाडु सरकार को एक नई निविदा जारी करने के लिए चार महीने का समय दिया, जबकि मौजूदा सफल निविदाकारों को समान नियम और शर्तों के तहत आपूर्ति जारी रखने की अनुमति दी। सफल बोली लगाने वाले यूएफएलईएक्स लिमिटेड ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। --आईएएनएस एचके/एएनएम