If you have problems with privacy policy of WhatsApp, do not use it: High Court
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ह्वाट्स एप की प्राइवेसी पॉलिसी से दिक्कत है तो उसे इस्तेमाल न करेंः हाईकोर्ट

Raftaar Desk - P2

- अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी नई दिल्ली, 18 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्स ऐप की नई प्राईवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि व्हाटस ऐप एक निजी ऐप है और अगर याचिकाकर्ता को दिक्कत है तो उसका इस्तेमाल नहीं करें। हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को करेगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि व्हाट्स ऐप सब कुछ इकट्ठा करता है और उसको विश्व स्तर पर साझा करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ब्रिटेन और अमेरिका में व्हाट्स ऐप नई प्राइवेसी पॉलिसी के इस्तेमाल के लिए ऑप्शन देता है लेकिन भारत में इसके इस्तेमाल के लिए कोई आप्शन नहीं दिया। इस पर व्हाट्स ऐप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐप पूरी तरह से उपयोग के लिए सुरक्षित है। मित्रों और रिश्तेदारों के बीच सभी बाचतीत एन्क्रिप्टेड है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल व्हाट्स ऐप ही नहीं बल्कि सभी प्लेटफार्म ऐसा कर रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपको पता है कि गूगल मैप भी डाटा शेयर करता है। क्या आपने व्हाट्स ऐप की शर्तों को पढ़ा है। पिछले 15 जनवरी को ये मामला पहले जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया था लेकिन उन्होंने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। 15 जनवरी को जस्टिस प्रतिभा सिंह ने इस मामले को लेकर कोर्ट को भेजे गए ई-मेल पर आपत्ति जताते हुए अपने को सुनवाई से अलग कर लिया था। दरअसल ई-मेल व्हाट्स ऐप की ओर से कोर्ट को भेजा गया था। इस ई-मेल में कहा गया था कि जस्टिस प्रतिभा सिंह इससे जुड़े मामले में बतौर वकील पहले पेश हो चुकी हैं। हालांकि व्हाटस ऐप ने इस ई-मेल को वापस ले लिया था। वकील चैतन्य रोहिल्ला ने दायर याचिका में कहा है कि व्हाट्स ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। याचिका में कहा गया है कि व्हाट्स ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी किसी यूजर की सभी आनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। याचिका में कहा गया है कि डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के अभाव में यूजर्स को कंपनी के रहमोकरम पर भी निर्भर रहना होगा। याचिका में व्हाटस ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करने से तत्काल रोकने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को मौलिक अधिकारों के मुताबिक तय करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। केंद्र सरकार इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 79(2)(सी) और धारा 87(2)(जेडजी) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए ये सुनिश्चित करे कि व्हाट्स ऐप किसी भी यूजर का डाटा किसी भी तीसरे पक्ष या फेसबुक को किसी उपयोग के लिए शेयर नहीं करे। व्हाटस ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक वो यूजर का डाटा किसी तीसरे पक्ष को शेयर नहीं करने के अधिकार को छीनता है। अगर व्हाटस ऐप यूजर्स का डाटा फेसबुक को शेयर करती है इसका मतलब है कि वो हर सेकंड यूजर का डाटा संग्रह करेगा और एक तरह से वो फेसबुक और उसकी कंपनियों की निगरानी में रहेगा। ऐसा करना गैरकानूनी है। व्हाटस ऐप के युजर एक-दूसरे को संदेश देने के लिए उसका उपयोग करते हैं। लेकिन अगर उन सूचनाओं का उपयोग किसी पक्ष से करना गैरकानूनी है। व्हाट्स ऐप ने 4 जनवरी को अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करते हुए अपने यूजर्स को इसे स्वीकार करना को कहा है। व्हाट्स ऐप ने कहा है कि अगर यूजर अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं करता है तो 8 फरवरी के बाद उसकी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। व्हाटस ऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूरोप में लागू नहीं की गई है। यूरोप में डाटा प्रोटेक्शन का कानून है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in