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देश

हरियाणा : वेस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण घोटाला, तीन एचसीएस पर गाज

Raftaar Desk - P2

-सरकार से मोटा मुआवजा लेने के खातिर पहले ही बना ली थी योजना -छह कर्मचारियों के खिलाफ भी होगी कार्रवाई चंडीगढ़, 05 जून (हि.स.)। रेल मंत्रालय द्वारा हरियाणा में बनाए जा रहे वेस्टर्न डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर मामले में भारी अनियमितताएं बरतने के आरोप में प्रदेश सरकार ने तीन एचसीएस अधिकारियों छह पटवारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। भूमि घोटाले में पटवारियों के खिलाफ जहां मामला दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं वहीं एक एचसीएस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है जबिक दो अन्य के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है। केंद्र सरकार के स्पेशल रेलवे प्रोजेक्ट वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए पलवल व फरीदाबाद क्षेत्रों में भूमि का अधिग्रहण होना था। एचसीएस अधिकारी कंवर सिंह, जितेंद्र कुमार व डॉ़ नरेश पर आरोप हैं कि उनके कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण में अनियमितताएं की गईं। सरकार ने अनिमितताओं के आरोप में रीडर, रजिस्ट्रेशन क्लर्क, डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के अलावा पटवारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए हैं। इस मामले में सरकार के पास कई शिकायतें आई थीं जिसकी जांच मंडलायुक्त को सौंपी गई। मंडलायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं का खुलासा किया है। मंडलायुक्त की रिपोर्ट राजस्व एवं आपदा प्रबंध विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल के पास पहुंची। उन्होंने रिपोर्ट के बारे में मुख्यमंत्री से चर्चा की। सीएम ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। एचसीएस कंवर सिंह पर गंभीर आरोप होने के कारण सरकार ने उन्हें चार्जशीट करने की सिफारिश की है। जितेंद्र कुमार-4, एचसीएस और डॉ. नरेश के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश के साथ स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस मामले में तहसीलदार/नायब तहसीलदार प्रदीप देशवाल, अशोक कुमार एस, रोहतास व प्रेम प्रकाश को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। रजिस्ट्री लिपिकों, डाटा एंट्री आपरेटरों और रीडरों के संबंध में मंडलायुक्त और पलवल के डीसी को कानून अनुसार कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने रेलवे को भेजी रिपोर्ट सरकार ने इस मामले के बारे में रेलवे मंत्रालय को भी सूचित कर दिया है। आरेाप हैं कि रेल फ्रेट कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित होने वाले जमीन के मुआवजे के चक्कर में यह पूरा खेल खेला गया। कुछ पटवारियों सहित कई अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने पहले ही जमीन खरीद ली थी। इसके बाद यह जमीन अधिग्रहण में गई। बताते हैं कि इन लोगों ने स्वयं या अपने रिश्तेदारों के नाम पर अधिग्रहित जमीन को खरीदा है। इससे परियोजना को मोटा नुकसान पहुंचने की संभावना है। हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/रामानुज