आखिर सुग्रीव बालि के खिलाफ युद्ध हेतु उठ खड़ा होता है। उनके डोले फड़कने लगते हैं। आँखें लाल हो उठती हैं। श्रीराम जी के पावन व ओजस्वी वचनों ने मानों सुग्रीव को तिनके से पर्वत-सा अडिग बना दिया। बूंद को सागर बनने का अनुभव क्या होता है, यह तो कोई क्लिक »-www.prabhasakshi.com