पिछले अंक में हमने पढ़ा कि सच्चा साधक संसार के सभी प्रपंचों को छोड़कर श्रद्धा पूर्वक भगवान के चरण कमलों में अपना चित्त लगाता है। श्री भगवान उवाच अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप । अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥ भगवान कहते हैं- हे परम तपस्वी अर्जुन ! धर्म के प्रति श्रद्धा क्लिक »-www.prabhasakshi.com