विगत अंक में हमने पढ़ा कि सुग्रीव पर क्रोधित होकर श्रीराम जी सुग्रीव के वध को तत्पर हो जाते हैं। प्रभु श्रीराम जी ने जिन शब्दों का प्रयोग किया, वे शब्द अति गूढ़ व मर्म से परिपूर्ण हैं। श्री राम कहते हैं- ‘जेहिं सायक मारा मैं बालि। तेहिं सर हतौं क्लिक »-www.prabhasakshi.com