यह तो प्रभु की महती कृपा थी कि सुग्रीव बालि की मजबूत पकड़ से छूट पाया। और भागकर प्रभु की शरण में जा पहुँचा। अन्यथा साक्षात काल के मुँह से बचकर आज तक भला कौन लौटा। सुग्रीव प्रभु के पास पहुँचा तो बस हाँफे जा रहा है। फूले हुए श्वाँसों क्लिक »-www.prabhasakshi.com