भगवान श्रीराम जी ने पवनपुत्र श्रीहनुमान जी को अपने संदेश में यही कहा था, कि आप श्रीसीता जी को मेरे बल और विरह का स्मरण दिलाना। प्रभु के विरह का तो, श्रीहनुमान जी ने ऐसा किया, कि वैदेही जी का दुख हरता गया। और वे प्रेम मगन हो मुग्ध सी क्लिक »-www.prabhasakshi.com