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गरीबों का दाह संस्कार में मदद करने गुजरात के व्यक्ति ने यूपी में जलाऊ लकड़ी बैंक की स्थापना

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गंगा नदी में तैरते शवों और तटों पर दबे शवों के दृश्य ने देश में कई लोगों को परेशान किया। ऐसा माना गया कि ये शव संभवत: कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के हैं। लेकिन गुजरात के एक उद्यमी संजय राय शेरपुरिया ने इससे प्रेरणा लेकर इसका समाधान निकालने की कोशिश की। शेरपुरिया ने अपना आधार उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थानांतरित कर दिया और गरीब परिवारों को उनके रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त लकड़ी उपलब्ध कराने के लिए एक जलाऊ लकड़ी बैंक की स्थापना की। वास्तव में गाजीपुर के रहने वाले शेरपुरिया ने आईएएनएस को बताया, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नदी के किनारे तैरते और दफन शवों की तस्वीरें देखकर मैं स्तब्ध रह गया। मैं परेशान हो गया था, इसलिए मैंने गाजीपुर में एक जलाऊ लकड़ी बैंक स्थापित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, जलाऊ लकड़ी बैंक स्थापित करने के लिए, मैंने अपना आधार गाजीपुर में स्थानांतरित कर दिया और 5,000 से अधिक स्वयंसेवकों के साथ एक समर्पित टीम तैयार की। राय ने आगे कहा कि उन्होंने गरीब और हाशिए के परिवारों को मुफ्त लकड़ी उपलब्ध कराने का फैसला किया, जो अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी खरीदने में असमर्थ थे। यह सुनिश्चित करने के लिए केवल एक छोटा सा प्रयास था कि गरीबों को भी उनकी जाति और पंथ के बावजूद उनकी मृत्यु में सम्मान मिलना चाहिए। उन्हें मुफ्त में लकड़ी उपलब्ध कराने के लिए और जिला प्रशासन की मदद से हमने गाजीपुर के विभिन्न घाटों पर 10 जलाऊ लकड़ी बैंक स्थापित किए। राय ने यह भी कहा कि कई लोग और किसान इस उद्देश्य के लिए लकड़ी दान करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि वुड बैंक के पास अब 700 टन से अधिक लकड़ी उपलब्ध है। राय, जो गाजीपुर जिले के शेरपुर गांव के मूल निवासी हैं, और अब गुजरात में रहते हैं, उन्होंने इस साल की शुरूआत में कृषि आधारित उत्कृष्टता केंद्र शुरू किया था, जिसका उद्देश्य 2023 से हर साल 25,000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करना है। राय ने यह भी कहा कि 14 मई से जून तक, जलाऊ लकड़ी बैंक 100 से अधिक परिवारों की लकड़ी उपलब्ध कराने की मांग को पूरा करने में सक्षम है। शेरपुरिया ने यह भी कहा कि वह शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी का विकल्प विकसित करने के लिए अपनी टीम के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक ऐसी मशीन विकसित की है जो गाय के गोबर से लकड़ी बना सकती है, जिससे दाह संस्कार का खर्च कम होगा। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक शव का अंतिम संस्कार करने के लिए 500 किलोग्राम से अधिक लकड़ी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, इसलिए मैंने गाय के गोबर की लकड़ी बनाने के लिए एक मशीन विकसित की है, जिससे हमें लकड़ी की मांग को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मशीन सफल हो जाती है तो इससे दाह संस्कार की लागत में कमी आएगी क्योंकि केवल 130-150 किलोग्राम से अधिक गाय के गोबर की लकड़ी की आवश्यकता होगी। शेरपुरिया ने गाजीपुर में दवा, कोविड जांच शिविर और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने के लिए एक समर्पित कोविड-19 प्रतिक्रिया टीम भी शुरू की है। उन्होंने कहा कि प्रतिक्रिया दल के स्वयंसेवक गांवों का दौरा कर आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं । --आईएएनएस आरएचए/आरजेएस