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शिक्षा मंत्रालय ने शुरू की छात्रों को रोचक पुस्तकें और लाइब्रेरी मुहैया कराने की मुहिम

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। स्कूलों के पुस्तकालयों के लिए पुस्तकों का चयन करने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर पुस्तक चयन समिति का गठन किया जाएगा। शिक्षा सचिव पुस्तक चयन समिति के अध्यक्ष होंगे। यह शुरुआत समग्र शिक्षा के पुस्तकालय अनुदान के तहत की जा रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव संतोष कुमार यादव ने इस संबंध में पत्र एवं आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत राज्यों, शिक्षकों, अभिभावकों और अन्य लोगों को शामिल करके एससीईआरटी और डाइट के माध्यम से स्थानीय विद्या और लोक कथाओं सहित अपनी कहानी की किताबें विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) के तहत युग्मित राज्य और संघ राज्य क्षेत्र से प्रसिद्ध कहानियों का भी चयन किया जा सकता है। स्वयं बच्चे अन्य बच्चों के लिए कहानी की किताबें भी विकसित कर सकते हैं। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि पाठकों, विचारकों और लेखकों के रूप में विकसित होने के लिए गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों और अन्य पठन सामग्री तक बच्चों की पहुंच आवश्यक है। यह एक स्पष्ट धारणा तो लग सकती है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। पुस्तकालय के लिए अनुदान एवं पढ़ने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कुछ खास दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशानिर्देशों के मुताबिक यहां मुख्य बिंदु पठन सामग्री की प्रचुरता है। जब बहुत सारी रोचक और आकर्षक पुस्तकें उपलब्ध हों तो बच्चे पढ़ने में कामयाब हों सकते हैं। यानी इसके लिए किताबें और अन्य पठन सामग्री की आवश्यकता है। दूसरे शब्दों में, इसका अर्थ है का पुस्तकों का एक बड़ा संग्रह। पढ़ने के स्तर और विशेष में छात्रों की रुचि के अनुसार पुस्तकों का आयोजन। पढ़ने के स्वतंत्र समय और पुस्तकों से संबंधित गतिविधियों का आनंद लेने के लिए छात्रों हेतु आमंत्रित स्थान। इन दिशा निदेशरें में कहा गया है कि ऐसी ही जगह को कहते हैं लाइब्रेरी। हर स्कूल में लाइब्रेरी नामक इस खास जगह की जरूरत है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अन्तर्गत पुस्तकालय स्कूल का एक अनिवार्य घटक है। यह न केवल आनंदपूर्ण सीखने के लिए संसाधन, लेकिन बच्चों को स्थायी पठन के साथ लैस करने, उन्हें उत्साही और स्वतंत्र पाठक बनाने का कौशल प्रदान करता है। एनईपी 2020 ने पुस्तकालयों और पुस्तकों के महत्व पर जोर दिया है। छात्रों के विकास सहित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। भारतीय भाषाओं में प्रेरणादायक पुस्तकों की उपलब्धता और पहुंच की बात नई शिक्षा नीति में कही गई है। स्कूल, सार्वजनिक पुस्तकालय, पुस्तकालयों का सुदृढ़ीकरण और पढ़ने की संस्कृति का निर्माण भी नई शिक्षा नीति का हिस्सा है। --आईएएनएस जीसीबी/एसजीके