Delhi government gets reply for three weeks in gay marriage case
Delhi government gets reply for three weeks in gay marriage case 
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समलैंगिक शादी मामले में दिल्ली सरकार को जवाब के लिए मिली और तीन हफ्ते की मोहलत

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 08 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने समान लिंग वाले जोड़ों को शादी करने का अधिकार देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का और समय दे दिया है। जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर 25 फरवरी को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय देने की मांग की। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए अंतिम मौका दिया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से कोई पेश नहीं हुआ है, इसलिए उसे भी जवाब देने के लिए समय दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि तीन हफ्ते में केंद्र और दिल्ली सरकार जवाब दाखिल करे और उसके बाद याचिकाकर्ता अपना जवाबी हलफनामा दायर करें। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 14 अक्टूबर, 2020 को केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। 14 अक्टूबर, 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनकी शादी की अनुमति नहीं दी। यहां तक कि याचिकाकर्ताओं को एसडीएम के दफ्तर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। उन्होंने कहा था कि नवतेज जोहार केस में समान लिंग वाले जोड़ों की गरिमा और निजता के अधिकार की बात कही गई है। उन्होंने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। गुरुस्वामी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने फॉरेन मैरिज एक्ट के तहत कांसुलेट से भी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था लेकिन वहां भी अनुमति नहीं दी गई। कांसुलेट ने कहा कि यह शादी दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं हो सकती है। कांसुलेट जनरल को नवतेज जोहार के फैसले के बारे में भी बताया गया लेकिन नवतेज जोहार का फैसला शादी के वर्तमान कानूनों पर लागू नहीं होता है। गुरुस्वामी ने कहा कि हाईकोर्ट ने हमेशा ही भेदभाव से बचाव किया है। याचिका डॉक्टर कविता अरोड़ा और अंकिता खन्ना ने दायर की है। दोनों पिछले आठ सालों से एक साथ रहती आ रही हैं। डॉक्टर कविता अरोड़ा पेशे से साइक्रिएटिस्ट हैं जबकि अंकिता खन्ना पेशे से थेरेपिस्ट हैं। दोनों मेंटल हेल्थ एंड लर्निंग डिसेबिलिटीज फॉर चिल्ड्रेन एंड यंग एडल्ट्स नामक क्लिनिक के लिए एक टीम का हिस्सा हैं। दोनों ने मांग की है कि दोनों की शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत करने का दिशानिर्देश दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के मैरिज अफसर को दिया जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अरुंधति काटजू , गोविंद मनोहरनॉ, सुरभि धर और मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि दोनों की शादी होने से न केवल एक संबंध बनेगा बल्कि दोनों परिवार एक साथ होंगे लेकिन बिना शादी हुए दोनों कानून के मुताबिक अलग-अलग हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि संविधान की धारा 21 अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की छूट देता है। ये अधिकार समान लिंग वाले जोड़े पर भी वैसे ही लागू होता है, जैसे असमान लिंग वाले जोड़े पर। यह अधिकार केवल शादी से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह गरिमा और बराबरी से साथ जीने के अधिकार का भी मामला है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in