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सेंट्रल विस्टा: राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक बदलेगा नजारा, म्यूजियम बनेंगे नॉर्थ और साउथ ब्लॉक

Raftaar Desk - P2

नवनीत मिश्र/ मो. शोएब नई दिल्ली, 5 मई(आईएएनएस)। केंद्र सरकार की नई सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा। विरासत भवन के कारण इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा। आने वाले समय में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को रेट्रोफिटिंग कर संग्रहालय का रूप दिया जाएगा। नए सेंट्रल विस्टा के निर्माण से राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का नजारा बदल जाएगा। इस बड़े प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगले ढाई सौ सालों की जरूरतों के मद्देनजर विश्वस्तरीय सेंट्रल विस्टा बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है। इस बड़े प्रोजेक्ट की प्राथमिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार ने मौजूदा समय कोविड 19 को लेकर प्रभावी प्रतिबंधों के बीच इसे आवश्यक सेवाओं में माना है, ताकि निर्माण पर किसी तरह का कोई असर न पड़े। शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली इस परियोजना को पूरा कराने की जिम्मेदारी सीपीडब्ल्यूडी की है। नोडल एजेंसी सीपीडब्ल्यूडी ने हाल में एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी को बताया है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नवंबर 2022 तक नया संसद भवन बनकर तैयार होगा। दिसंबर 2022 तक उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नया आवास भी क्रमश: नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पास बनकर तैयार होगा। इसके अलावा कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट भी बनाने की तैयारी है। एसपीजी की भी दिसंबर 2022 तक बिल्डिंग बनकर तैयार होगी। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत 13450 करोड़ की लागत से करीब एक दर्जन भवनों के निर्माण के दौरान 46700 लोगों को अस्थाई रोजगार मिलने का अनुमान है। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, केंद्र सरकार के कार्यालय दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हैं। एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में जाने में स्टाफ को परेशानी होती है। इसका कामकाज पर असर पड़ता है। अधिकांश भवन 50 वर्ष की अवधि भी पूरी कर चुके हैं, जर्जर हो चुके हैं। ज्यादातर भवन भूकंपरोधी नहीं है। वास्तुकला में खामियां हैं, बार-बार मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती है। कई केंद्रीय कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं। ऐसे में कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट से लगभग सभी केंद्रीय कार्यालय एक छत के नीचे आएंगे और कामकाज तथा कोआर्डिनेशन में सहूलियत होगी। सुरक्षित रखे जा रहे हेरिटेज लैंप और ब्रिटिश चैन आईएएनएस की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पाया कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण के लिए राजपथ के दोनों तरफ खुदाई चल रही है। इस दौरान ब्रिटिशकाल के हैरिटेज लैंप और चेन्स उखाड़कर सुरक्षित रखी जा रही है। सेंट्रल विस्टा निर्माण से जुड़े एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, हेरिटेज लैंप और ब्रिटिश चेन को निकालकर हम सुरक्षित रख रहे हैं। इनकी संख्या के बारे में सीपीडब्ल्यूडी को नोट भी भेज रहे हैं। पेड़ों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है। करीब 14 सौ पेड़ हैं, जिनकी हर रोज वन विभाग गिनती करता है। सेंट्रल विस्टा की जरूरत क्यों? 11 फरवरी 2021 के लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नए सेंट्रल विस्टा के औचित्य पर प्रकाश डाला था। उन्होंने बताया कि संसद भवन सौ साल पुराना हो चुका है। वर्ष 2026 के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ेंगी। इसलिए नया संसद भवन बनाया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा का मुख्य एवेन्यू राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैला हुआ है। मगर, बदलते जमाने के साथ इसे विश्वस्तरीय किया जाना है। क्योंकि इसमें सार्वजनिक सेवाओं, सुविधाओं और पाकिर्ंग का अभाव है। बेतरतीब पार्किं ग से भीड़ होती है और गलत छवि बनती है। जलाशयों और ग्रीनरी की देखभाल के लिए सेंट्रल विस्टा का फिर से निर्माण जरूरी है। इसलिए भारत सरकार ने नए संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के पुनर्निमाण का निर्णय लिया है। शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट के निर्माण से एक ही स्थल पर सभी मंत्रालयों का कामकाज हो सकेगा। नार्थ और साउथ ब्लॉकों को विरासत भवन होने के कारण यथावत रखा जाएगा। रेट्रोफिटिंग होने के बाद संग्रहालय के रूप में रखा जाएगा। शिफ्ट होंगे प्रतिष्ठित संस्थान सेंट्रल विस्टा परियोजना के कारण सेंट्रल दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी कला केंद्र जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का अड्रेस बदल जाएगा। इंदिरा गांधी कला केंद्र को जामनगर हाउस प्लॉट पर बनने वाली नई बिल्डिंग में, वहीं राष्ट्रीय संग्रहालय को नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में ट्रांसफर करने की तैयारी है। भारत के पिछले 5000 वर्षों के इतिहास व सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ीं कलाकृतियों को संरक्षित करने वाला राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में जनपथ मार्ग पर स्थित है। यहां प्राग-ऐतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल तक की कलाकृतियां हैं। यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की देखरेख में संचालित होता है। इसी तरह वर्ष 1985 से संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की देखरेख भी संस्कृति मंत्रालय करता है। वर्ष 1987 में इसे एक स्वायत्त निकाय का रूप दिया गया था। यह केंद्र कला एवं संस्कृति क्षेत्र में शोध और शैक्षिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करता है। अब सेंट्रल विस्टा परियोजना के कारण इसे भी शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि, राष्ट्रीय अभिलेखागार के विरासत भवन यथावत रहेगा। --आईएएएनएस एनएनएम/एमएसके/एएनएम