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बीएसएनएल हिमाचल के दूर-दराज में नई सौर बैकअप तकनीक अपनाए : हाईकोर्ट

Raftaar Desk - P2

शिमला, 1 जुलाई (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आदिवासी क्षेत्रों को वर्चुअल मोड के माध्यम से करीब लाते हुए सरकार के स्वामित्व वाली बीएसएनएल को पुरानी सौर बैक अप तकनीक को बदलने का निर्देश दिया है, ताकि दूर-दराज क्षेत्रों में अनियमित बिजली आपूर्ति के कारण अपर्याप्त बैंडविड्थ की समस्या का समाधान किया जा सके। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बरोवालिया की खंडपीठ ने कहा, हमें बीएसएनएल के अधिकारी द्वारा सूचित किया गया है कि भले ही उनके पास सौर बैकअप है, लेकिन यह पुरानी और अप्रचलित तकनीक पर आधारित है जिसमें लीड एसिड बैटरी का उपयोग किया जाता है। मामले को अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई को सूचीबद्ध करते हुए न्यायाधीशों ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि अपर्याप्त बैंडविड्थ और/या ब्रॉडबैंड सिग्नल के प्रमुख मुद्दों में से एक राज्य के पिछड़े और दूर-दराज के क्षेत्रों में बिजली की अनियमित आपूर्ति है, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्र में। दिए गए परिस्थितियों में, हमारा विचार है कि पुरानी और पुरानी तकनीक को धीरे-धीरे समाप्त करने की आवश्यकता है और बैटरियों को चरणबद्ध तरीके से नवीनतम तकनीक से बदलने की आवश्यकता है। अदालत ने बीएसएनएल को 191 टावरों के संबंध में नवीनतम सौर पैनल स्थापित करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया, जो हिमाचल प्रदेश के अत्यंत पिछड़े क्षेत्रों में स्थित हैं और उसके बाद सोमवार से एक महीने की अवधि के भीतर संबंधित क्वार्टरों से इसकी स्वीकृति प्राप्त करें। और सुनवाई की अगली तिथि पर अनुपालन की रिपोर्ट करें। न्यायाधीशों ने यह भी पाया कि राज्य में केबल बिछाने की दरें संभवत: देश में सबसे अधिक 1,600 रुपये प्रति मीटर थीं। हालांकि, इस पहलू से अदालत को अवगत कराने के लिए महाधिवक्ता अशोक शर्मा को चार सप्ताह का समय दिया गया। --आईएएनएस एसजीके