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भाजपा और आप का राजनीतिक हित साधने के लिए किया गया तीनों निगमों का विलय : कांग्रेस

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय राजधानी के तीनों निकायों का विलय भाजपा और आम आदमी पार्टी के राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों दलों के पार्षदों और नेताओं ने भ्रष्टाचार कर तीनों निगमों को लगभग समाप्त कर दिया है। जब तक भाजपा और आप के नेता नहीं सुधरते, तब तक कुछ हासिल नहीं हो सकता। भाजपा और आप पार्षदों की रिश्वत मांगते हुए कैमरे में कैद ताजा घटना ने एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार को और उजागर कर दिया है। कुमार ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने अरविंद केजरीवाल सरकार के समर्थन से एमसीडी को देश की लोकतांत्रिक परंपराओं का घोर उल्लंघन करते हुए विलय करा दिया। कांग्रेस सरकार ने दिल्ली के दक्षिण, उत्तर और पूर्वी क्षेत्रों का समुचित विकास सुनिश्चित करने के लिए एमसीडी को तीन भागों में बांट दिया था, लेकिन एमसीडी में भाजपा के 15 साल के भ्रष्टाचार और उसका आम आदमी पार्टी के समर्थन ने निगमों की सारी संपत्ति लूट ली, इतना कि एमसीडी के पास गरीब सफाई कर्मचारियों सहित अपने स्टाफ को वेतन देने के भी पैसे नहीं बचे। उन्होंने कहा कि भाजपा और आप ने एमसीडी का विलय करने के लिए मिलीभगत की क्योंकि वे हार के डर से एमसीडी चुनाव स्थगित करना चाहते थे। विलय से चुनावों में देरी होगी, जो इस साल मई तक पूरा हो जाना चाहिए था। यह भाजपा के लिए शर्म की बात है कि केंद्र में पार्टी के शासन, और दिल्ली से शुरू होने वाले पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद, वह गाजीपुर कचरा पहाड़ को दुरुस्त नहीं कर सकी, जहां आग लगना एक आम बात हो गई है, जो न केवल लोगों के लिए स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है, बल्कि दिल्ली की पहले से ही जहरीली हवा को और भी प्रदूषित करता है। अगर मोदी सरकार मौजूदा तीनों लैंडफिल - गाजीपुर, ओखला और भलस्वा को साफ करने और आधुनिक तकनीक के साथ नए लैंडफिल स्थापित करने की इच्छा रखती, तो दिल्ली में लैंडफिल संकट बहुत पहले ही हल हो जाता। उन्होंने कहा कि यह काम विशेषज्ञों, यहां तक कि विदेशी विशेषज्ञों/कंपनियों की भागीदारी से किया जा सकता था, जिनके पास ऐसी परियोजनाओं से निपटने का जरूरी अनुभव है, ताकि दिल्ली में लोग जहरीली हवा में सांस लिए बिना रह सकें। --आईएएनएस एसकेपी