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आईएसआई के लिए 'जासूसी' पर सेना गंभीर, सैनिक को हिरासत में लेकर जांच शुरू

Raftaar Desk - P2

- उत्तरी कमान से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी को दी गईं - शुरुआती जांच के बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराए जाने की आशंका नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को उत्तरी कमान से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां लीक करने के मामले को सेना ने गंभीरता से लिया है। सैनिक को हिरासत में लेकर सेना के नगरोटा स्थित 16 कोर में जांच शुरू कर दी गई है। लीक किए गए डेटा में गुप्त सैन्य नक्शे, एलएसी और एलओसी पर अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों और उनकी परिसंपत्तियों की जानकारी शामिल हैं। यह डेटा लीक तब हुआ है, जब चीन की सीमा एलएसी पूर्वी लद्दाख में सक्रिय है। भारतीय सेना की उत्तरी कमान के पास पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा की देखरेख का जिम्मा है। उत्तरी कमान का नेतृत्व वर्तमान में लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी कर रहे हैं। भारत से समझौते के बाद पैन्गोंग झील एरिया में चली दोनों सेनाओं की विस्थापन प्रक्रिया भी उन्हीं की देखरेख में चल रही है। सैनिक पर आरोप है कि उसने इसी उत्तरी कमान से संवेदनशील गुप्त सूचना का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान स्थित हैंडलर को दिया। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह जवान भारी सुरक्षा वाले कमांड से डेटा की तस्करी करने में कैसे कामयाब रहा लेकिन सूत्रों ने इसे उच्च स्तर का उल्लंघन बताया है, जिसका असर क्षेत्र में तैनात सैनिकों की सुरक्षा पर पड़ सकता है। भारत और पाकिस्तान द्वारा 25 फरवरी को संघर्ष विराम की घोषणा करने से कुछ सप्ताह पहले यह उल्लंघन सामने आया था। सेना ने इस मामले में अधिकृत रूप से टिप्पणी करने से इनकार किया है लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह सैनिक पैदल सेना की उधमपुर (पंजाब) रेजिमेंट का है। उसे उत्तरी कमान के मुख्यालय में एक संवेदनशील शाखा में तैनात किया गया था। उधमपुर से 50 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में नगरोटा में सेना के 16 कोर मुख्यालय में उससे पूछताछ की जा रही है। सूत्रों ने शुरुआती जांच के बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराए जाने की आशंका जताई है। सूत्रों का कहना है कि चिंताजनक बात यह है कि यह डेटा लीक का मामला सेना की आंतरिक जांच में नहीं बल्कि भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की जवाबी खुफिया शाखा की पकड़ में आया है। सेना की अपनी आंतरिक काउंटर-इंटेलिजेंस मशीनरी अपने सबसे संवेदनशील ऑपरेशनल कमांड में काफी मजबूत है। इसने पहले भी कई जासूसी के मामले पकड़े हैं लेकिन इसे सबसे बड़ी शीर्ष स्तरीय चूक के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही यह मामला सेना के लिए खतरे की घंटी इसलिए भी है कि आखिर एक जगह पर इतना संवेदनशील डेटा क्यों पाया गया और सुरक्षा प्रोटोकॉल इस तरह की संवेदनशील जानकारी लीक होने से क्यों नहीं रोक सके। सूत्रों का कहना है कि इस एंगल से भी जांच संभव है कि क्या यह डेटा एक अलग ऑपरेशनल उद्देश्य के लिए संकलित किया गया था और 'ट्रांसफ़ॉर्म' में लीक हो गया। अगर जांच में यह एंगल सही निकलता है तो भी यह गंभीर है क्योंकि सेना के पास हर संभव कदम पर शक्तिशाली सुरक्षा प्रोटोकॉल हैं। सूत्रों का कहना है कि सेना में कई वर्षों से यूएसबी ड्राइव पर प्रतिबन्ध लगा है और डेटा हैंडलिंग के सभी उपकरणों, डिजिटल प्रोटोकॉल और मानक संचालन प्रक्रियाओं को पहले ही हटाया जा चुका है। इसलिए तकनीकी एंगल की जांच में यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि आखिर डेटा स्थानांतरित करने के लिए किस पद्धति का उपयोग किया गया था। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि जिस समय जासूसी की बात सामने आई है, उसे देखते हुए यह आश्चर्य की बात नहीं है। हालांकि ऐसे सभी जासूसी मामलों को गंभीरता के साथ देखा जाता है लेकिन कई ऐसे कारण हैं कि इस उत्तरी कमान डेटा लीक मामले को विशेष रूप से सख्ती के साथ देखा जा रहा है। सबसे ख़ास बात यह है कि यह डेटा लीक उस समय हुआ है जब चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में और पाकिस्तान के साथ एलओसी पर यानी भारत की सेना एक साथ दो मोर्चों पर सक्रिय है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत