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एएमयू वनस्पतिशास्त्री ने नए पौधे प्रोटीन की पहचान की

Raftaar Desk - P2

अलीगढ़, 24 सितम्बर (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के शोधकर्ताओं ने जर्मनी के कुछ अन्य शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पौधों में एक नए प्रोटीन की पहचान की है, जो फसल के पौधों की नमक सहनशीलता में सुधार करेगा और कृषि भूमि में उच्च लवणता वाली मिट्टी खेती के योग्य होगी। एएमयू में वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर, डॉ तारिक आफताब ने जर्मनी के अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर एक नए प्रोटीन की पहचान की है जो जौ के पौधों में नमक सहिष्णुता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फसल के पौधों की नमक सहनशीलता भविष्य के खाद्य उत्पादन के लिए बढ़ते मूल्य के साथ एक विशेषता है। एएमयू की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, डॉ आफताब को अतिथि वैज्ञानिक के रूप में सौंपे जाने के दौरान जर्मनी के गैटर्सलेबेन के लाइबनिज इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जेनेटिक्स एंड क्रॉप प्लांट रिसर्च में शोध कार्य किया गया है। कई वर्षों के आगे के अध्ययन और दोहराने के परीक्षणों के बाद, रिपोर्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज में प्रकाशित हुई है। डॉ आफताब ने कहा कि इस प्रोटीन की पहचान से प्रतिरोधी फसल पौधों के विकास में नए क्षितिज खुलेंगे। वैश्विक जलवायु परिवर्तन, जिसकी लंबे समय तक और तीव्र सूखे की अवधि के साथ होने का अनुमान लगाया गया है, इस स्थिति को और भी बढ़ा सकती है। सूखे से निपटने के लिए गहन सिंचाई के प्रयास अंतत मिट्टी की लवणता को बढ़ाते हैं और इस प्रकार कृषि भूमि की खेती को बाधित करते हैं जब लवणता दहलीज स्तर तक पहुंच जाती है। अब फसल पौधों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने व्याख्या की, इसलिए यह मिट्टी की लवणता की इन दहलीज को ऊपर की ओर धकेलने के लिए फसल पौधों की नमक सहिष्णुता में सुधार के लिए एक वैश्विक स्थायी खाद्य आपूर्ति के लिए एक प्रमुख लक्ष्य ह,ै ताकि उच्च लवणता वाली मिट्टी के साथ अधिक कृषि भूमि अभी भी कृषि के लिए उत्तरदायी हो। --आईएएनएस एसएस/आरजेएस