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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 2 उप-जातियों को शामिल करने पर लगाई रोक

Raftaar Desk - P2

प्रयागराज, 20 अगस्त (आईएएनएस)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसके तहत दो गोंड उपजातियों नायक और ओझा को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल किया गया था। नायक जन सेवा संस्थान द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की पीठ ने कहा कि यूपी सरकार को गोंड जाति के उप जाति नायक और ओझा को गोंड जाति की श्रेणी में आने के लिए संदर्भित करने का अधिकार नहीं है। अनुसूचित जनजाति (एसटी), इस प्रकार कुछ जातियों को एसटी के रूप में अधिसूचित करने वाली केंद्र सरकार की 2003 की अधिसूचना की व्याख्या या प्रतिस्थापन करती है। रिट याचिका में, याचिकाकर्ता की दलील थी कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है। इसके अनुसार, एक गजट अधिसूचना उत्तर प्रदेश राज्य के 13 जिलों के लिए कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित करने के लिए 8 जनवरी, 2003 को जारी किया गया था। 15 जुलाई, 2020 को राज्य सरकार द्वारा 2003 की एक अधिसूचना के अनुसार राज्य के 13 जिलों में कुछ जातियों का नामकरण करते हुए एक अधिसूचना जारी की गई थी। इसमें आगे कहा गया है कि गोंड की दो उपजातियां, यानी नायक और ओझा को एसटी की श्रेणी में शामिल किया जाए। --आईएएनएस एनपी/आरजेएस