150-great-indian-bustard-birds-left-all-over-india
150-great-indian-bustard-birds-left-all-over-india 
देश

पूरे भारत में 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी बचे हैं

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 15 मार्च (आईएएनएस)। देशभर में केवल 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी बचे हैं, जिनमें अकेले राजस्थान में इस प्रजाति के 128, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में 10 से कम पक्षी हैं। लोकसभा को सोमवार को यह बताया गया। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) का यह आंकड़ा भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून द्वारा किए गए अध्ययनों के माध्यम से आई थी और सरकार देश में पक्षियों की सुरक्षा के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची- 1 में सूचीबद्ध किया गया है, जिसके अनुसार यह शिकार से कानूनी सुरक्षा का उच्चतम स्तर है। ग्रेट इंडियन बस्टर्डस के महत्वपूर्ण आवासों को उनकी बेहतर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय उद्यानों/अभयारण्यों के रूप में नामित किया गया है। मंत्रालय ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सहित वन्यजीवों पर विद्युत पारेषण लाइनों और अन्य विद्युत पारेषण अवसंरचना के प्रभावों को कम करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल उपायों का सुझाव देने के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है। पक्षियों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण कदमों में राजस्थान के कोटा जिले में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए एक संरक्षण प्रजनन केंद्र की स्थापना शामिल है। मंत्रालय ने राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष से वित्तीय सहायता के साथ कार्यक्रम के लिए पांच साल की अवधि के लिए 33.85 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है। इस समय सैम, जैसलमेर में इनक्यूबेटर, हैचर, चूजों के पालन और कैप्टिव पक्षियों के लिए आवास के साथ एक उपग्रह संरक्षण प्रजनन सुविधा स्थापित की गई है, जिसका प्रबंधन डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों और राजस्थान वन विभाग द्वारा आबू धाबी स्थित अंतर्राष्ट्रीय फंड फॉर हौबारा कंजर्वेशन एंड रेनेको की तकनीकी सहायता से किया जाता है। लोकसभा में कहा गया है कि कुल 16 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजे, (जंगली से एकत्र किए गए अंडों से कृत्रिम रूप से पैदा हुए) को इस समय सैम में उपग्रह संरक्षण प्रजनन सुविधा में पाला जा रहा है। प्रजातियों की पहचान केंद्र प्रायोजित योजना - वन्यजीव आवास विकास के घटक प्रजाति पुनप्र्राप्ति कार्यक्रम के तहत संरक्षण प्रयासों के लिए की गई है। --आईएएनएस एसजीके