हिमालयन ईकोज कुमाऊं साहित्य एवं कला उत्सव शुरू
हिमालयन ईकोज कुमाऊं साहित्य एवं कला उत्सव शुरू 
उत्तराखंड

हिमालयन ईकोज कुमाऊं साहित्य एवं कला उत्सव शुरू

Raftaar Desk - P2

-पहाड़ की संस्कृति, प्रथाओं, मान्यताओं और चीज उत्पादन पर हुई चर्चा नैनीताल, 10 अक्टूबर (हि.स.)। बीते वर्षों की तरह पांचवां दो दिवसीय ‘हिमालयन ईकोज कुमाऊं साहित्य एवं कला उत्सव’ शनिवार को प्रारंभ हुआ। ‘माउंटेन पाथ्स’ अर्थात् पहाड़ी पथ विषय पर इस वर्ष के आयोजन का कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत सोशल मीडिया के कई प्रचलित माध्यमों पर शुभारम्भ नैना देवी मंदिर की ओर से हिमलायन ईकोज उत्सव की निदेशक जान्हवी प्रसाद के स्वागत सम्बोधन से हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने अपने पहाड़ से जुड़े अनुभवों को साझा किया। पहले दिन पहाड़ के सांस्कृतिक पहलू, शिमला के वाइस रीगल लॉज के माध्यम से भारतीय इतिहास को आकार देने वाले नेता, उत्तराखंड के पहाड़ों में स्थायी चीज व्यवसाय का निर्माण एवं हिमालय के किस्सों पर रोचक चर्चाएं हुईं। इस दौरान जया भट्ट एवं आशीष राणा द्वारा गाये गए कुमाऊंनी लोकगीतों का प्रस्तुतीकरण भी किया गया। पहले सत्र में कला इतिहासकार अल्का पांडेय एवं जान्हवी प्रसाद के बीच हुई चर्चा में पहाड़ी संस्कृति एवं मान्यताओं के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए परंपराओं एवं प्रथाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। दूसरे सत्र इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक मकरंद परांजपे एवं लेखक राजा भसीन के बीच हुई चर्चा में वाइस रीगल लॉज के निर्माण, आर्किटेक्चर तथा स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित विभिन्न आयामों पर चर्चा हुई। तीसरे सत्र में जान्हवी प्रसाद एवं प्रीतम भट्टी ने मुक्तेश्वर स्थित दारीमा चीज कारखाने की सैर कराते हुए यहां चीज बनाने की प्रक्रिया, दूध की शुद्धता, निकटवर्ती ग्रामवासियों के प्रतिभाग से लगाए महिलाओं के योगदान एवं पहाड़ों में चीज के स्थायी उत्पादन के वर्तमान एवं भविष्य पर चर्चा की गई। दिन के अंतिम एवं चौथे सत्र में लेखिका प्रियंका प्रधान की पुस्तक ‘टेल्ज ऑफ हिमालयाज’ पर कणिका सिसोदिया के साथ चर्चा हुई। हिन्दुस्थान समाचार/नवीन जोशी/मुकुंद-hindusthansamachar.in