शहीद लाहिड़ी अदम्य साहस और निडर व्यक्तित्व के धनी थे: स्वामी चिदानन्द सरस्वती
शहीद लाहिड़ी अदम्य साहस और निडर व्यक्तित्व के धनी थे: स्वामी चिदानन्द सरस्वती 
उत्तराखंड

शहीद लाहिड़ी अदम्य साहस और निडर व्यक्तित्व के धनी थे: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

Raftaar Desk - P2

ऋषिकेश, 17 दिसम्बर (हि.स.)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने क्रान्तिकारी महानायक राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि शहीद लाहिड़ी को फांसी पर लटकाया गया था। भारतमाता के इस सपूत की देशभक्ति और समर्पण को नमन है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि शहीद लाहिड़ी अदम्य साहस और निडर व्यक्तित्व के धनी थे। जिस दिन उन्हें फांसी पर लटकाया जाना था उस दिन वे प्रातःकाल व्यायाम कर रहे थे। तब उन्हें जेलर और जेल के अन्य कर्मचारियों ने पूछा कि फांसी पर लटकाने से पूर्व व्यायाम करने का क्या मतलब है। इस पर शहीद लाहिड़ी ने निडर होकर कहा, 'चूंकि मैं हिन्दू हूं और पुनर्जन्म में मेरी अटूट आस्था है, अतः अगले जन्म में मैं स्वस्थ शरीर के साथ ही पैदा होना चाहता हूं ताकि अपने अधूरे कार्यों को पूरा कर देश को स्वतन्त्र करा सकूं, इसीलिए मैं रोज सुबह व्यायाम करता हूं। आज मेरे जीवन का सर्वाधिक गौरवशाली दिवस है तो यह क्रम मैं कैसे तोड़ सकता हूँ।' स्वामी ने कहा कि उनके द्वारा दिया गया अन्तिम सन्देश एक शिलापट्ट पर आज भी अंकित है - ‘मैं मरने नहीं जा रहा, अपितु भारत को स्वतन्त्र कराने के लिये पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ।’ परमात्मा पर इतना अटूट विश्वास और अपनी मातृभूमि को आजाद करने के लिये बार-बार जन्म लेकर अपने जीवन को न्यौछावर करने की भावना, अदम्य साहसी और अपने देश से अटूट प्रेम करने वाले महापुरुष ही कर सकते हैं। इस महापुरुष के शहीदी दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि। स्वामी ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता, एकता, अखंडता और अस्मिता को बनाये रखने के लिये अनेक महापुरुषों ने अपने जीवन को बलिदान कर दिया। हम सभी का यह सौभाग्य है कि हमने स्वतंत्र भारत और एक मजबूत लोकतंत्र में जन्म लिया है, अब भारत की एकजुटता, अखंडता और आत्मनिर्भरता के लिये हर व्यक्ति को आगे आना होगा। हमारे राष्ट्र ने, हमारी मातृभूमि ने हमें बहुत कुछ दिया है, अब हम सब की बारी है। देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखे। हमारे पूर्वजों ने राष्ट्रीयता, राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र के प्रति संवेदना से युक्त संस्कारों का रोपण बड़ी ही सजगता से किया है, अब उस देश भक्ति के बीज को हर भारतवासी के हृदय में विकसित करना होगा ताकि आगे आने वाली पीढ़ियों में भी देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम विकसित होती रहे। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम-hindusthansamachar.in