परोपकार को समर्पित होता है संतों का जीवनः सत्यव्रतानंद
परोपकार को समर्पित होता है संतों का जीवनः सत्यव्रतानंद 
उत्तराखंड

परोपकार को समर्पित होता है संतों का जीवनः सत्यव्रतानंद

Raftaar Desk - P2

हरिद्वार, 15 नवम्बर (हि.स.)। संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित होता और शिव स्वरूप संत ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह उद्गार भूपतवाला स्थित योगानंद योग आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सत्यव्रतानंद महाराज ने ब्रह्मलीन योगीराज स्वामी योगानंद सरस्वती महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए व्यक्त किए। स्वामी सत्यव्रतानन्द महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी योगानंद सरस्वती महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने सदैव अपने जीवनकाल में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की पताका को भारत ही नहीं देश विदेश में भी फैलाया। धर्म के उत्थान व संरक्षण में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। स्वामी निरंजन महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी योगानंद सरस्वती एक महान संत थे। इस दौरान स्वामी विवेकानंद सरस्वती, स्वामी प्रेमानंद, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत दुर्गादास, महंत सूरजदास व मनोज गिरी आदि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in