Sustained life is impossible without sacrament: Justice Dhyani
Sustained life is impossible without sacrament: Justice Dhyani 
उत्तराखंड

संस्कार के बिना मर्यादित जीवन असंभवः जस्टिस ध्यानी

Raftaar Desk - P2

हरिद्वार, 03 जनवरी (हि.स.)। उत्तराखंड लोकसेवा अभिकरण के अध्यक्ष और उत्तराखंड हाईकोर्ट के जस्टिस (रिटायर्ड) यूसी ध्यानी ने रविवार को कहा कि माता-पिता के संस्कार बच्चे को भविष्य का मार्ग दिखाते हैं। माता-पिता स्वयं मर्यादित और संस्कार वाला जीवन जियें। माता-पिता बच्चों के प्रथम गुरु होते हैं। संस्कार के बिना मर्यादित जीवन असंभव है। उन्होंने यह विचार 'मानव अधिकारों के संरक्षण में संस्कारों की भूमिका' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी (वेबिनार) में कही। संगोष्ठी का आयोजन उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार एवं मानव अधिकार संरक्षण समिति हरिद्वार ने संयुक्त रूप से किया। वेद विभाग के डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने मंत्रोचारण से वेबिनार का शुभारंभ किया। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने वेबिनार की अध्यक्षता की। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर मधुसूदन आर्य, विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, मानव अधिकार संरक्षण समिति की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष डॉ. सपना बंसल (दिल्ली विश्वविद्यालय) आदि ने विचार रखे। संगोष्ठी का संचालन डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद-hindusthansamachar.in