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उत्तराखंड

राज्यपाल के अभिभाषण में खेती-किसानी पर खास फोकस

Raftaar Desk - P2

-त्रिवेंद्र सरकार का संदेश, कृषि क्षेत्र को लेकर वह संवेदनशील देहरादून, 01 मार्च (हि.स.)। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। इन स्थितियों के बीच भाजपा शासित प्रदेश उत्तराखंड ने अपने बजट सत्र के पहले ही दिन किसान आंदोलन को अपने ही अंदाज में जवाब देने की कोशिश की है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अभिभाषण में त्रिवेंद्र सरकार की तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों का जिक्र करने के साथ खेती किसानी पर लंबी बात की है। किसानों और कृषि के हित में उठाए गए या फिर उठाए जाने वाले कदमों का खास तौर पर जिक्र किया। मकसद साफ है। त्रिवेंद्र सरकार ने यह जाहिर करने की कोशिश की है कि खेती-किसानी को लेकर वह संवेदनशील है। किसान भरोसा रखें। सरकार उनके लिए बहुत कुछ कर रही है। राज्यपाल के अभिभाषण में रोजगार, विकास से लेकर हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ बात कही गई है। मगर खेती-किसानी पर जिस तरह से विस्तार से रोशनी डाली गई है, वह सरकार पर किसान आंदोलन के प्रभाव को भी सामने रखता है। राज्यपाल के अभिभाषण का विपक्ष ने बायकाॅट किया, लेकिन यह तय है कि दस दिनी सत्र में विपक्ष कृषि और किसान आंदोलन की बात को धारदार तरीके से सदन में जरूर रखेगा। इसको भांपते हुए सरकार ने अभिभाषण के जरिये विपक्ष को भी पहले ही जवाब दे दिया है। हालांकि संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक लगातार कह रहे हैं कि विपक्ष जिस मसले पर चर्चा चाहेगा, सरकार कराने को तैयार है। अभिभाषण के जरिये सरकार ने बताया है कि एनसीडीसी के माध्यम से एक समान उपज, उत्पाद के उत्पादन और विपणन के लिए कलस्टरवार कृषक उत्पादक संगठन का गठन किया गया है। सरकार ने अपने इस फैसले को बहुत प्रभावी ढंग से सामने रखा है, जो कि सीधे तौर पर किसान आंदोलन के दौरान प्रकट की जा रही किसानों की चिंता से जुड़ा माना जा रहा है। एक और महत्वपूर्ण बात की गई है। सरकार ने कहा है कि कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन व वितरण के लिए वह आगामी वित्तीय वर्ष में दस अतिरिक्त ग्रोथ सेंटर की स्थापना करेगी। इसका मकसद किसानों की आय में बढ़ोतरी बताया गया है। सरकार यह बताने से भी पीछे नहीं रही कि पौड़ी जिले में वह 41 करोड़ रुपये की लागत से जैफ-6 ग्रीन एग्रीकल्चर योजना शुरू करने जा रही है। अभिभाषण के जरिये सरकार ने बताया है कि दो लाख पैंतालिस हजार आठ सौ उनतीस किसानों की फसलों का बीमा किया गया है। गन्ने की पैदावार पर भुगतान से लेकर नवीतनम तकनीक का भी जिक्र अभिभाषण में किया गया है। सरकार ने अपनी महत्वकांक्षी दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना का भी अभिभाषण में प्रमुखता से जिक्र किया है। सरकार ने नाबार्ड और अन्य एजेंसियों के सहयोग से चल रही तमाम कृषि योजनाओं को खास तौर पर रेखांकित किया है। हिन्दुस्थान समाचार/विशेष संवाददाता/मुकुंद